नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर झारखंड लौट आये। उन्होंने आते ही ये स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस और झामुमो में हुई बातचीत पर अंतिम फैसला पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन ही करेंगे। एक प्रकार से उन्होंने कांग्रेस को ये बता भी दिया कि सबकुछ फाइनल मानकर चलना जल्दबाजी होगी। कहा जा रहा है कि इन सब के पीछे पुरानी यादें हैं जो झामुमो को कुरेदती रही हैं। इसलिए जैसे ही हेमंत और राहुल के दिल्ली में मिलने और आगामी चुनावों के मद्देनजर साझा रणनीति पर काम करने की बात सामने आई, शिबू सोरेन ने बिना लाग-लपेट के कहा कि गठबंधन तो ठीक है लेकिन इस पर लिखित में समझौता होना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस पर उन्हें भरोसा नहीं।
जानकारों के अनुसार झामुमो ने एक प्रकार से कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर ये भी इशारा कर दिया है कि आगामी लोकसभा, विधानसभा चुनाव में वह तभी कांग्रेस का साथ देगी जब झामुमो के पास इस समझौते पर कायम रहने का मजबूत आधार हो। जहां तक राज्यसभा चुनाव की बात है झामुमो ये जानती है कि पूरे विपक्ष को एकजुट करना टेढ़ी खीर है, इसलिए वह इससे बड़ा दांव खेलना चाहती है ताकि आगामी चुनाव में कुछ बड़ा हासिल किया जा सके। इसके साथ ही हेमंत सोरेन को ये भलिभांति पता है कि बीजेपी के लगातार बढ़ते प्रभाव से कांग्रेस दबाव में है और यही माकूल वक्त है जब वोटों के गणित को सेट करते हुए सूबे में सियासी जमीन मजबूत की जा सकती है।