-चारा घोटाले के फैसले के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
मनोज कुमार सिंह
एक कविता है- "किसी ने इंसान की छाती में सेंध लगाई है, उस चोर के निशान हर गली हर मोड़ पर हैं । मगर कोई कुछ बोलता नहीं है, सिर्फ जंजीर में बंधे कुत्ते की तरह कोई-कोई नजर भौंकती है"। ऐतिहासिक चारा घोटाला के केस में माननीय जज द्वारा इस कविता का उल्लेख करना इस ओर इशारा करता है कि इस फैसले के दूरगामी परिणाम देखे जा सकते हैं । जनमानस में यह बात आम थी कि राजनेता और नौकरशाह अपने को कानून से ऊपर समझते थे लेकिन न्याय के मंदिर में आज यह दोनों मिथक धराशाई हो गए। यह फैसला भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, यह एक सबक भी है उन लोगों के लिए जो सत्ता की सीढ़ियों पर चढ़कर शुचिता और भ्रष्टाचार के बीच अंतर समझने में भूल करते हैं।
इस फैसले के आने के बाद राजनीतिज्ञों के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा, यह तो नहीं पता लेकिन जनमानस में यह बात तेजी से फैली है कि कोई व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। राजनीतिक आरोप- प्रत्यारोप रोज हो रहे हैं लेकिन आम आदमी सब कुछ देख और समझ रहा है। एक दल के वरिष्ठ नेता और उसी दल के उभरते हुए युवा नेता न्यायपालिका के आदेश को राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा बताकर समाज में अराजकता की स्थिति पैदा कर रहे हैं, हो सकता है कि ऐसी स्थिति पैदा करने से कुछ राजनीतिक फायदे हो जाएं लेकिन इसके दूरगामी परिणाम को देखा जाए तो बहुत व्यापक दिखता है, अनेकों मंचों पर लालू यादव सहित सभी आरोपित नेताओं ने बार-बार इस बात को दोहराया है कि मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है लेकिन विगत दिनों जो फैसले लालू यादव के विरुद्ध आए उस पर वह, उनके पार्टी के लोग तथा परिवार के सदस्य द्वारा मीडिया में जो टिप्पणी आई, वह अत्यंत चिंताजनक कही जा सकती है। यह भविष्य में ऐसे क्षेत्रीय दलों एवं राष्ट्रीय दलों के उन नेताओं के लिए एक संकेत है, जो बाहुबल, धनबल और जातिगत उन्माद के बुनियाद पर अपनी राजनीति का आशियाना खड़ा किए हुए हैं। विगत वर्षों में इन्हीं अराजक स्थिति को देखते हुए जनता ने इन्हें खारिज करना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में विगत कुछ वर्षों की राजनीति को करीब से देखा जाए तो तस्वीर साफ दिख रही है।