इसराइल में प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ रही हैं और उनका सियासी करियर खतरे में है। आगे बढ़ते हुए विरोध के बीच, यरूशलम में हजारों लोगों ने उनके इस्तीफे की मांग की। पुलिस ने बदबूदार पानी की तेज़ बौछारों से प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की, जिससे वारंवार हिंसा के मामले सामने आए।
प्रदर्शनकारी नेतन्याहू के खिलाफ उठी मांगों पर खरी-खोटी में हुए बहस और उनके खिलाफ प्रोपेगेंडा भी बढ़ गई है। उनकी सरकार में धर्माधारित पार्टी और दक्षिणपंथी दलों के समर्थन से सरकार में लोकतंत्र के दुश्मनों की भूमिका को लेकर जागरूकता बढ़ी है।
नेतन्याहू ने अब तक सुरक्षा चूक के लिए माफी नहीं मांगी है और उसे सियासी करियर पर दांव में देखा जा रहा है। चुनाव में उनका एक सफल अभियान चलाने की उम्मीद है, जिसमें हमस समस्या के समाधान के रूप में पेश किया जा रहा है।
इस दौरान, नेतन्याहू की नेतृत्व में सरकार की चुनौतियों और विधान मंडल पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे उनकी राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
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