संतोषी की मौत विपक्ष के हाथ थमा गयी तेज़ हथियार
आगामी 31 अक्टूबर को एकसाथ विपक्ष के नेता बोलेंगे | जरा जोर से बोलेंगे | आप उन्हें चलताऊ भाषा में विपक्ष का दहाड़ना भी कह सकते हैं | प्रादेशिक स्तर के इस दहाड़ कार्यक्रम में दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी के साथ पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, और वाम दलों के नेताओं के साथ सैकड़ों जन आंदोलनों के प्रतिनिधि भी रहेंगे | (आप इसे व्यंग की तरह नहीं पढ़ें, लेकिन जब बाबूलाल के अलावा ना हेमंत और ना ही सुबोधकांत ने सिमडेगा के उस गांव में जाने तक की जहमत तक नहीं उठाई तो क्या ऐसे रस्मी कार्यक्रम को लेकर सियासत के प्रति व्यंगबोध नहीं आ जायेगा | आप खुद ही सोचिये फिर रघुवर दास और हेमंत सोरेन में क्या फर्क रहा | फिर तो दोनों ही असम्वेदनशील माने जाएँ |)
बहरहाल, सामूहिक विपक्ष 10 साल की संतोषी नायक की मौत (क्योंकि सरकार इसे मलेरिया डेथ लिखने की लगातार चेतावनी दे रही है) पर 31 को रैली के जरिये अपनी बात कहेगा | अब विपक्ष की बातों को सरकार या मिडिया तभी नोटिस लेगी जब रांची में भीड़ जुटेगी | हालांकि विभिन्न मुद्दों को लेकर घिरी राज्य की भाजपा नीत गठबंधन सरकार को घेरने की जुगत में विपक्षी दल लग गए हैं। 31 अक्टूबर की रैली के अलावा राज्य स्तर पर सर्वदलीय आंदोलन की रणनीति बनाने की मुहिम तेज हो गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने इस बाबत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से संपर्क साधा है।
पूर्व केंद्रीयमंत्री सुबोधकांत सहाय इस रैली को लेकर काफी सक्रिय हैं | उन्होंने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया। कहा, चारों तरफ हाहाकार मचा है। भूख से लोग मर रहे हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं और राज्य के मुख्यमंत्री चुनिंदा अफसरों के साथ विदेश का दौरा कर रहे हैं। सरकार 1000 दिन पूरा करने का जश्न मना रही है। कानून-व्यवस्था की स्थिति बदतर हो चुकी है। महिलाओं के साथ दुष्कर्म हो रहा है। विपक्ष इसे चुपचाप सहन नहीं करेगा। लोगों का गुस्सा परवान पर है। सत्ता का अहंकार ज्यादा वक्त तक नहीं चलता।
इस बीच प्रदेश कांग्रेस के नेता सोमवार को 24 घंटे के लिए अनशन पर बैठे | प्रदेश महासचिव आलोक दुबे ने कहा कि सिमडेगा के संतोषी की मौत मामले में लीपापोती चल रही है। संतोषी के परिजनों को धमकाना और गांव से बाहर निकालना सरकार के इशारे पर हो रहा है। राशन डीलरों और आपूर्ति पदाधिकारी को निलंबित कर तथा अधिकारियों पर आरोप लगाकर सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बच नही सकती। मंत्री सरयू राय को भूख से हुई मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेनी होगी।
इधर झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय का दावा है कि सिमडेगा में भूख से मृत बच्ची के मामले की लीपापोती सरकार कर रही है। सरकार के भीतर इसे लेकर भ्रम की स्थिति है। ऐसी नौबत पहले कभी नहीं आई कि मुख्य सचिव के आदेश को निरस्त करना पड़े।
इन सबके बीच प्रदेश भाजपा ने विपक्ष को लाश पर राजनीति न करने की नसीहत दी है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सिमडेगा में हुई बच्ची की मौत बेहद अफसोसजनक है। पूरी सरकार और पार्टी इस दुख की घड़ी में मृतक के परिजनों के साथ खड़ी है।