-गांधी जयंती से दहेज और बाल विवाह के खिलाफ बड़े अभियान की तैयारी
शराबबंदी कर महिलाओं को अपने साथ जोड़ने के बाद नीतीश कुमार बिहार में फिर से सामाजिक दांव खेलने वाले हैं। 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के मौके पर नीतीश कुमार दहेज प्रथा और बाल विवाह को पूरी तरह बंद करने के लिए बड़ा अभियान शुरू करने वाले हैं। नीतीश के करीबियों के अनुसार वह इन अभियान को शराबबंदी की तर्ज पर बड़ा बनाने की कोशिश करेंगे। इसके लिए वह प्रदेश का सघनदौराकरेंगे।
जिस तरह शराबबंदी के पक्ष में उन्होंने सबसे लंबी मानव चेन बनायी उसी हिसाब से वह दहेज प्रथा के पक्ष में भी रिकॉर्ड संख्या में लोगों से शपथ लेंगे कि “न तो वह दहेज लेंगे और न देंगे”। साथ ही शराबबंदी की तर्ज पर वह दहेज और बाल विवाह के खिलाफ बहुत सख्त कानून लाने वाले हैं जिसकी घोषणा 2 अक्टूबर को ही करेंगे।
इस सामाजिक अभियान के जरिये नीतीश कुमार राजनीतिक समीकरण साधने की भी कोशिश करेंगे। दरअसल नीतीश कुमार की महिला वोटरों को टारगेट करने की खास रणनीति है। बीजेपी के साथ आने के बाद जेडीयू को बिहार की राजनीति में कितना हिस्सा मिलेगा इस बारे में अभी से चर्चा का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी ने जहां सभी लोकसभा की 40 सीटों पर संगठन मजबूत करने का ऐलान किया तो जेडीयू ने भी ऐसा ही ऐलान कर दिया। यह ठीक उस घटना के बाद हुई जब जेडीयू को एनडीए में शामिल होने के बाद भी मोदी सरकार में जगह नहीं मिली।
ऐसे में नीतीश कुमार 2019 से पहले अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत रखना चाहते हैं ताकि उनकी बार्गेन क्षमता बनी रहे। पंचायत में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने से लेकर शराबबंदी तक, राज्य में महिआओं के बड़े तबके ने नीतीश कुमार को सपोर्ट किया है। महादलित और महिला वोटरों के सपोर्ट से नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में बड़ी भूमिका बनाए रखना चाहते हैं। 2009 में जब जेडीयू और बीजेपी साथ लोकसभा चुनाव लड़ी थी तब जेडीयू 25 और बीजेपी 15 सीटों पर लड़ी थी लेकिन तब से लेकर अबतक हालात बहुत बदल गए हैं। बीजेपी अब बड़ेहोने का दावा करती है।
जेडीयू ने हालांकि अपने इस अभियान को राजनीति से जोड़कर न देखे जाने की बात की है। लेकिन सूत्रों के अनुसार आरजेडी-कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश कुमार बीजेपी के कई कदम और बयान से चिंतित हुए और 2019 से पहले अपनी जमीन किसी तरह कमजोर नहीं होना देना चाहते।