मिशन 2019 को लेकर जहां कांग्रेस विपक्ष को लामबंद करने में जुटी है ताकि मजबूत विपक्ष एनडीए को पटकनी दे सके वहीं दूसरी ओर अपने-अपने सूबे के क्षत्रप कांग्रेस के इस मुहिम का हिस्सा बनने से कतरा रहे हैं। जानकारों की मानें तो तृणमूल की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने अपने पैंतरे बदल ली है। बता दें कि 13 मार्च को सोनिया गांधी की तरफ से दिए जा रहे डिनर में देश के विभिन्न राज्यों के क्षत्रप इकट्ठा होंगे इसी बहाने बीजेपी को आगामी चुनाव में शिकस्त देने का तानाबाना बुनेंगे। वहीं कहा जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के इस डिनर में शरीक नहीं होंगी। हालांकि खबरों के मुताबिक सोनिया के डिनर में तृणमूल कांग्रेस की तरफ से डेरेक ओ ब्रायन और सुदीप बनर्जी शामिल होंगे।
उधर, 13 मार्च को होने वाले डिनर में राजद नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, एनडीए से बगावत कर अलग हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के अलावा कई अन्य दलों के नेता भी शिरकत करेंगे। वहीं इन सब के बीच ये भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस की इस डिनर की राजनीति में कौन-कौन नेता शामिल होंगे इसपर सबों की नजर रहेगी क्योंकि हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने एक गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी तीसरे फ्रंट बनाए जाने की बात कही थी। यही नहीं वह इसकी अगुवाई के लिए तैयार हैं और उन्हें तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने समर्थन भी किया है।
सियासी हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि ममता खुद बीजेपी को हराने के लिए तीसरा मोर्चा तैयार करने की अगुवाई करना चाहती हैं। इसके लिए वह अलग-अलग पार्टियों से बात कर रही हैं। हाल ही में उनके डीएमके के कार्यवाहक अध्यक्ष एम के स्टालिन से बातचीत की थी। हालांकि कांग्रेस नेता ये कह रहे हैं कि इस डिनर से साफ हो जाएगा की कौन-कौन सी विपक्षी पार्टियां बीजेपी को घेरने के लिए आक्रामक तरीके से आगे आएंगी और इसके लिए कौन सा रास्ता अख्तियार करेंगी।