सारठ के पूर्व विधायक चुन्ना सिंह के साथ यह कहावत आज सटीक तौर पर लागू हो गई. वह अपने लाव लश्कर के साथ झामुमो के मंच पर दुमका में अवतरित हुए, थोड़ी देर बैठे, पानी पी और मन ही मन हेमंत सोरेन को कोसते हुए अपने घर लौट गए. वह आए थे झामुमो में शामिल होने.
जाहिर है जब वह झामुमो में शामिल होने आए थे, तो कोई जिलाध्यक्ष बनने तो नहीं आए थे. उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर सारठ से चुनाव लड़ना था. अंदरखाने उनकी झामुमो के शीर्ष नेताओं से बातचीत भी हो चुकी थी. आज दुमका के मंच से केवल सारठ डील पर मोहर लगनी थी. पर एन वक्त पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने इसमें पेच लगा दिया. शशांक शेखर भोक्ता को ज्यों ही पता चला कि चुन्ना सिंह झारखंड मुक्ति मोर्चा ज्वाइन करने वाले हैं, वह सारा खेल समझ गए, उन्होंने आनन-फानन दिशोम गुरु का दरवाजा खटखटाया. पार्टी में अपने संघर्ष की दुहाई दी, जब बात बनती नहीं दिखी तो भाजपा में जाने की अप्रत्यक्ष चेतावनी भी दी. यहां आकर मंजर बदल गया. दरवाजे से फरमान जारी हुआ कि चुन्ना सिंह की इंट्री फिलहाल रोकी जाए.
अब सवाल था डैमेज कंट्रोल का. झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने तकनीकी बहाना तलाशा. बताया जाने लगा कि चुन्ना सिंह को पहले जिला कमेटी से यानी देवघर से सदस्यता लेनी थी, जो उन्होंने नहीं किया. इसलिए उन्हें बाद में सदस्यता देने पर फैसला किया जाएगा.