विपक्षी दलों के साथ ही एनडीए के सहयोगी दलों के लगातार विरोध और मांग को देखते हुए मोदी सरकार ने एससी, एसटी एक्ट के मूल प्रावधानों को बहाल करने संबंधी विधेयक के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी है। बता दें कि देश भर के दलित संगठनों की यह एक प्रमुख मांग है, इसी सिलसिले में 9 अगस्त को भारत बंद भी बुलाया गया है।
बताया जा रहा है कि एससी, एसटी एक्ट के मूल प्रावधानों को बहाल करने वाला विधेयक संसद में लाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में अपने फैसले में संरक्षण के उपाय जोड़े थे जिनके बारे में दलित नेताओं और संगठनों का कहना था कि इस ने कानून को कमजोर और शक्तिहीन बना दिया है।
बीजेपी के सहयोगी और लोजपा अध्यक्ष राम विलास पासवान ने न्यायालय का आदेश पलटने के लिए एक नया कानून लाने की मांग की थी। सत्तारूढ़ पार्टी के संबंध रखने वाले कई दलित सांसदों और आदिवासी समुदायों ने भी मांग का समर्थन किया था।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एससी एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। इसके पहले आरोपों की डीएसपी स्तर का अधिकारी जांच करेगा, यदि आरोप सही पाए जाते हैं तभी आगे की कार्रवाई होगी। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आई जिसमें इस अधिनियम के दुरूपयोग हुआ है। बता दें कि एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में जातिसूचक गाली-गलौच के 11,060 मामलों की शिकायतें सामने आई थी। इनमें से दर्ज हुईं शिकायतों में से 935 झूठी पाई गईं।