उत्तर प्रदेश में सियासी पर चढ़ने लगा है, शहरी निकाय चुनाव को लेकर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने सभी को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस बार निकाय चुनाव लड़ेगी। लिहाजा कोई भी पार्टी कार्यकर्ता या पदाधिकारी निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ेगा। यह पहली बार है, जब बीएसपी निकाय चुनाव में उतर रही है।
इस दौरान बीएसपी ने बीजेपी और मीडिया पर भी जमकर निशाना साधा। पार्टी ने आरोप लगाया कि बीजेपी निकाय चुनाव का माहौल खराब कर रही है। साथ ही मीडिया का एक हिस्सा बीएसपी के अस्तित्व को नकार रहा है और आरोप लगा रहा है कि मायावती अपनी पार्टी में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दे रही हैं।
पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बीएसपी पूरी तरह से अंबेडकरवादी सोच की पार्टी है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी ही परिवारवादी पार्टी नहीं है और आगे भी ऐसा नहीं होगी। बीएसपी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हिमाचल और गुजरात के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रुख को देखते हुए गठबंधन का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।
हालांकि पार्टी सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए सेक्युलर पार्टियों से हाथ मिलाने को तैयार है। इनके साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने की पक्षधर है, लेकिन सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही यह मंजूर होगा। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सेक्युलर पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर पिछले और मौजूद अनुभव बेहद कड़वे रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल में 68 में से अपनी हारी हुई 10 सीट और गुजरात में 182 में से हारी हुई 25 सीट भी देने को तैयार नहीं हुई। कांग्रेस का यह रुख गठबंधन को लेकर उसकी नीयत को दर्शाता है। बीएसपी ने कहा कि बीजेपी घोर वादाखिलाफ़ी का पाप करके जनता को ठगने वाली बदनाम पार्टी बन गयी है। लिहाजा इसको रोकना बेहद जरूरी हो गया है। इसी के चलते बीएसपी चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है।