बाबूलाल मरांडी के बयान ने एक बार फिर विपक्ष की एकता पर सवालिया निशान लगा दिया है. इससे लम्बे समय से हो रही एकजुटता की क़वायद ख़तरे में पड़ सकती है. इसके साथ ही उन्होंने भाजपा को भी विपक्ष की हलिया गोलबंदी पर तंज कसने का एक और मौक़ा दे दिया है.
झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झाविमो को छोड़ कर किसी भी दल के पास झारखंडी हित और मुद्दों को लेकर कोई एजेंडा नहीं है. वे केवल मीडिया में बने रहने के लिए विरोध करते हैं. ज़मीन में कुछ भी नहीं दिखता है. केवल झाविमो ही गठन से लेकर आज तक झारखंडी मुद्दों को लेकर सदन से सड़क तक मुखर रही है.
श्री मरांडी ने भाजपा को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि झाविमो ही भाजपा को सत्ता से बेदख़ल कर सकती है.भाजपा को सबसे अधिक भय झाविमो से ही है. आज की भाजपा सरकार झाविमो के छह विधायकों के बल पर ही चल रही है.
हालांकि, भाजपा ने इस पर पलटवार करते हुए पहले चुनाव जीतने की चुनौती दी है, पार्टी प्रवक्ता दीनदयाल बर्नवाल ने कहा है कि एक वर्ष में चार चुनाव हारने वाले बाबूलाल निराश और हताश हो गए हैं. इसीलिए ऐसे बेतुके बयान दे रहे हैं.
बहरहाल, बाबूलाल के इस बयान से काँग्रेस पार्टी ज़्यादा इत्तेफ़ाक नहीं रखती है . इसलिए फ़िलहाल तो इस मुद्दे पर कुछ बोलने से इंकार कर रही है लेकिन नए अध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार के साथ विपक्ष को लेकर नयी रणनीति बनायी जाएगी. वहीं झामुमो ने इस मामले को लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाज़ी बतायी. ज़ाहिर है, विपक्ष की एकजुटता को लेकर झाविमो की तल्ख़ी आने वाले दिनों में विपक्ष द्वारा भाजपा को घेरने की रणनीति पर संशय बना सकते हैं.