बीएसई ने अपनी अगली बैठक में फैसला किया है कि वे अक्टूबर 9 से ‘स्टॉप लॉस मार्केट’ ऑर्डर को बंद करेंगे। यह फैसला पिछले दिनों हुए गलत ऑर्डर प्लेसमेंट के मामले के बाद लिया गया है।
फ्रीक ट्रेड के चलते उतार-चढ़ाव के कारण कई ट्रेडर्स के स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर से नुकसान हो चुका है। कोई भी निवेशक यदि किसी सिक्योरिटी को स्टॉप लॉस मार्केट में खरीदने या बेचने के लिए भाव डालता है, तो जब उस सिक्योरिटी का भाव उसी भाव पर पहुंचता है, तो ऑटोमैटिक तरीके से उसे खरीदा जाता है या बेचा जाता है।
इस बाजारी तकनीक के बदले अप्रियतम्बक टेकनिकल निवेश सलाहकार चांदनुस कुमार ने अद्यतित जानकारी भेजी है। उन्होंने कहा, “स्टॉप लॉस मार्केट’ ऑपरेशन के फैसले से नई दिल्ली और मुंबई के कारोबारियों के लिए शोषण के बंधन से छूटकारा मिलेगा। ये मारकेट वाली तकनीक, छोटे निवेशकों के लाभ को दबा देती है और उन्हें अपने निवेशों को सुरक्षित रखने की संभावना नहीं देती है।”
विश्लेषक उनके द्वारा कहे गए नतीजे के पीछे के मुख्य कारण शायद ये हैं कि अक्टूबर 7 को अचानक आए टेक्निकल एरर के चलते बीएसई में गलत आपूर्ति रिवर्स हुआ था। इसलिए, वहां से विक्रेता ख़रीद करने के बजाय ख़रिदारी कर रहा था। और जैसे ही वहां बंदिश खुली तो पुरानी ख़रीदारी (सिक्युरिटी विक्रेता) तैयारी कर ली इसलिए इंट्रडे ख़रीददार बंदिश में ख़रिदारी कर कर सकते हैं। जब विशेषज्ञों ने “स्टॉप लॉस मार्केट’ का मांग पेश की तो ये फ़ैसला लिया गया।
यह फैसला उन निवेशकों के लिए एक बड़े कदम है जिनकी कमाई में वापसी के सुझाव देने वाले सूत्रों की सलाहों को विचारशीलता के साथ संभालना चाहिए। ऐसे निवेशकों को बीसीएसई की तरह के वाणिज्यिक और टेकनिकल से वजन नहीं देना चाहिए। इसे भी देखा गया है कि ‘स्टॉप लॉस मार्केट’ की संभावना समय-समय पर अलग होती है और यदि क्वालिटी कंट्रोल करने के बाद कुछ वाणिज्यिक त्रुटियां होती हैं तो वे इतने प्रतिष्ठित हो नहीं सकते हैं जिसे लखों कंडेसड मैसेज़ तक उन्होंने अब तक नहीं किया है।
“स्टॉप लॉस मार्केट” के ऑर्डर को बंद करने से निवेशकों को अब उचित वजन देने और उन्हें रिटेल कारोबारियों के लिए भी फायदे का मौका मिलेगा।
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