महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को बताया कि उद्धव ठाकरे और शिवसेना गुट आतंकवादी समूहों हमास और लश्कर-ए-तैयबा के साथ गठबंधन कर सकते हैं।
उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने कांग्रेस से 50 करोड़ रुपये की मांग की, जो दान के माध्यम से एकत्र किया गया था। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि देश को मजबूत सरकार की जरूरत है, लेकिन ऐसा भारी बहुमत वाली एक पार्टी की नहीं होनी चाहिए।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवसेना की चोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि इस प्रयास में यह निकल रहा है कि शिवसेना ने चोरी की हो सकती है। इस पर शिवसेना और शिवसेना (यूबीटी) के नेता महाराष्ट्र के चुनावित मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे में मतभेद है, जिसे वे दशहरा के मौके पर न्यायिक वर्ग में लाए गए।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने एक बयान में बताया है कि उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी शिवसेना गठबंधन करके हमास और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी समूहों के साथ मिल सकतें हैं। यह बयान लोगों को चौंका देने वाला रहा है।
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) ने कांग्रेस से 50 करोड़ रुपये की मांग की है, जो दान के माध्यम से एकत्र किया गया था। इस मांग की वजह से राजनीतिक गतिरोध और विवाद बढ़ा है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि देश को मजबूत सरकार की जरूरत है, लेकिन ऐसा भारी बहुमत वाली एक पार्टी की नहीं होनी चाहिए।
इस के अलावा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने शिवसेना की चोरी का आरोप लगाते हुए कहा है कि ऐसा प्रयास कर रहे हैं कि शिवसेना चोरी कर सकती है। इस बात पर शिवसेना और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं के बीच मतभेद हो गया है। इस मतभेद को न्यायिक वर्ग के सामने लाने के लिए दशहरा के मौके पर दोनों पक्षों ने अपनी राय दी है।
इन सब घटनाओं के चलते महाराष्ट्र की राजनीति में उधम चालू हो गयी है। यह विवाद भाजपा और शिवसेना के बीच एक नए रंग देने का काम करेगा। इसकी वजह से राजनीतिक स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा, यह उठापटक कर रहा है कि क्या हमास और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी समूहों के साथ गठबंधन करना सही होगा। ऐसे में शिवसेना के एकत्रित होने की योजना को लेकर ज्यादा विचार किया जा रहा है।
इस समय राजनीति के मुद्दों से यह साफ है कि महाराष्ट्र की कुछ पार्टियां एक दूसरे के साथ गठजोड़ करके आने की योजना बना रही हैं। इससे किसी भी पार्टी को बहुमत मिलने की संभावना बन गई है। आपको बता दें कि इन पार्टियों के बारें में पहले कई बार जगह पर निर्देश दिया जा चुका है। अब यह देखने को मिलेगा कि महाराष्ट्र की राजनीति में इसमें कितनी कामयाबी मिलती है।
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