चीन के रक्षा बजट में वृद्धि, विश्वयुद्ध सिस्टम में भारी निवेश
नई दिल्ली: चीन ने अपने रक्षा बजट में ऐतिहासिक वृद्धि की घोषणा की है जो विभिन्न विषय-समेत विमानों, नौसेना और सामरिक संसाधनों में भारी निवेश को संकेत करती है। इस बजट की घोषणा आधुनिकीकरण और सुरक्षा क्षेत्र में चीन के कदमों के बदलते अनुसार आई है। इससे पहले चीन के माध्यम वार्ता ने चीन के रक्षा बजट पर वित्तमंत्री ली काह की घोषणा का खुलासा किया था।
चीनी अधिकारियों ने ऐतिहासिक रक्षा बजट में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि का एलान किया है। इस अद्यतन के पश्चात चीनी रक्षाबंधन में कुल आवंटन 1.35 ट्रिलियन युआन (1.35 लाख करोड़ US dollars) हो गया है। इसमें देश की रक्षा का मुख्य हिस्सा 14.7 फेंज, सामरिक संसाधनों पर 17.6 फेंज और रक्षा विज्ञान के विकास पर 5.4 फेंज होगा। चीन के रक्षा खर्च में सबसे अधिक ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्रों में शामिल मिसाइल तकनीक, कंप्यूटर नेटवर्किंग और सामरिक विमान या नौसेना हैं।
हालांकि, चीन के विस्तारवादी कदम शायद विपक्षी देशों के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं। भारत के लिए चीनी रक्षा बजट में की गई वृद्धि एक आशंका का कारण बन सकती है, क्योंकि दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच, सीमा विवाद और ट्रायड वार जैसी समस्याएं उठी हैं। चाइनीज संघ के अनुसार, इस वृद्धि का उद्देश्य स्वार्थपरता और विदेशी नीतियों को समझने की कोशिश करना नहीं है, बल्कि अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय सैन्य मांगों को पूरा करने की उम्मीद है।
चीनी रक्षा बजट में वृद्धि की हमारे संबंधों पर गंभीर प्रभाव होने की संभावना है। हमें चाहिए कि हम इस संघारमित और रणनीतिक नई सामरिक प्रतिष्ठान के लिए खुद को तैयार रखें, जिसका उद्घाटन नवीनतम तकनीकी एवं सुरक्षा साधनों का विमानन हो सकता है। यही कारण है कि हमें इस पर गंभीर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि हम अपनी सुरक्षा और पर्यावरणीय सुरक्षा पर नज़र रख सकें।
इस इन्कारगार्डीक बदलाव के बावजूद, यह भी महत्वपूर्ण है कि हम अपने संघारमित अनुदान प्रदान करें, जिससे अपनी तनावमुक्ति और सुरक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके। चीन के रक्षा बजट के इस बढ़ते हिस्से का मददगार होने के लिए, हमें स्वतंत्रता और एक सशक्त रक्षा प्रणाली के पीछे खड़े होने की आवश्यकता है।
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