शेयर बाजार से जुड़े निवेशकों के लिए अगस्त में चना दाल की कीमतों में 22% की बढ़ोतरी हुई। इससे अग्रिम बाजार विश्लेषकों द्वारा यह अपेक्षा जताई जा रही है कि एग्री-कमोडिटीज में निवेशकों के लिए दूसरे सितारे छमक रहे हैं। टेक महिंद्रा, सिप्ला और महिंद्रा एंड महिंद्रा भी पिछले महीने टॉप परफॉर्मिंग कंपनियों की सूची में अपनी जगह बनाई हैं।
एग्री-कमोडिटीज में निवेश को विकल्प के रूप में मान्यता देने पर मार्केट एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय रहती है। वहीं, एग्री-कमोडिटीज निवेश के बड़े लॉट साइज के कारण सामान्य निवेशकों के लिए यह विकल्प सबसे उचित नहीं हो सकता है।
इसके अलावा, एग्री-कमोडिटीज में फ्यूचर्स ट्रेडिंग पर पाबंदी होने के कारण रिटेल निवेशक को इन उत्पादों को मंडियों से खरीदना होगा और वेयरहाउस में रखना होगा। इसके बावजूद, बाज़ार में एग्री-ईटीएफ (ETF) के जरिए रिटेल हिस्सेदारी को बढ़ावा देने की संभावना है।
भारत में फ्यूचर्स ट्रेडिंग का एग्रीकल्चर कमोडिटीज में अपना 150 साल पुराना इतिहास है। इसे इनफ्लेशन और अन्य समस्याओं के लिए कृषि संबंधी उत्पादों की कीमतों में गड़बड़ी शुरू होने पर जिम्मेदार ठहराया जाता है।
एग्री-कमोडिटीज पर अगर हम विवेचना करें तो निवेशकों के लिए इसमें बबा रामदेव के Patanjali ने बदलाव का ज्ञान दिया है। वहीं, आज के दिनों में केन्द्रीय मंत्रालय के शेयर बाजार जानकारों की संवाद सुचना का अनुस्मारक बन रही है।
इसके अलावा, फ्यूचर्स ट्रेडिंग से जुड़ी अन्य संबंधित खबरों को देखते हुए बाजार विश्लेषकों ने बाजार में इसके प्रदार्थन संबंधी और भाव संबंधी कार्यवाही संबंधी नियम और कानूनों में संशोधन करने की आवश्यकता बताई है। ऐसे में, एग्री-कमोडिटीज के निवेश में बाजार विश्लेषकों की ज्यादातर राय है कि इसमें पटाखे नहीं करने चाहिए। तथापि, यही सब पर हर मामले में एग्री-कमोडिटीज में निवेश करने से पहले निवेशकों को विचार करना चाहिए।
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