संसदीय कार्य मंत्री ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय (MGCU) के कार्यक्रम के बारे में बात की है। वे इस अवसर पर उन शिक्षा थेकेदारों को सम्मानित किया है जो इस विश्वविद्यालय की स्थापना में भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री के बयानों के साथ, संगठन के सदस्यों ने वर्तमान दौर में इसके प्रदर्शन को सराहा है। उन्होंने याद दिलाया कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना यूपीए (UPE) के शासनकाल में हुई थी और फिर एनडीए (NDA) की सरकार ने इसका कार्य पूरा हुआ।
संसदीय कार्य मंत्री ने भाजपा नेताओं को भी इंगित करते हुए कहा कि वे सब लोग हमेशा से इस कौशल के विकास के समर्थन में खड़े रहे हैं और अब भी ऐसा ही हो रहा है। इसे व्यक्तिगत रिश्ते से जोड़ना उचित नहीं है और राजनीतिक समर्थन या विरोध से जोड़ना भी गलत होगा।
इस अवसर पर, संसदीय कार्य मंत्री ने जनता के सामर्थन को भी महत्व दिया है और यह बताया कि उनका उद्गर शास्त्रों के आदर्शों के अनुसार हुआ है। वे कहते हैं कि विज्ञानिक तर्क की बजाय राजनीतिक नेताओं की भाषा अभिरुचि और नीति में सुधार की जरूरत है।
उन्होंने अन्य शिक्षा थेकेदारों को भी अपना धन्यवाद दिया है और कहा है कि वे इस संघर्ष में उपस्थित होने के लिए अपने समय और शक्ति समर्पित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी विश्वास दिखाया है कि देश के सभी नागरिकों ने यह कार्यक्रम पूरी ईमानदारी से हस्तक्षेपों के बावजूद संचालित किया है।
संसदीय कार्य मंत्री ने समाप्त करते हुए कहा कि महान व्यक्तित्व के केंद्र में बने रहने के लिए यह विश्वविद्यालय आवश्यक है और इसके संगठन, संकालन और प्रशासनिक क्षमता को यह साबित करता है।
इस खबर में संसदीय कार्य मंत्री ने सदस्य शिक्षा के कार्यक्रम के बारे में बात की है और उन्होंने कहा है कि यह देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वे आगे भी इसे समर्थन करने और बढ़ावा देने का वचन देते हैं।
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