विधायक ओम प्रकाश हुडला का हेतु कस्टम विभाग में अधिकारी होने का अवसर था। उन्हें नहीं पूछता था कि अधिकारी होने के बावजूद उन्होंने नयी राजनीति मे एक नयी मुद्दे पर अवलोकन करना शुरू किया। 2013 के नगर निगम चुनाव में उन्होंने ये पक्षधर घराना खोज निकाला था, क्यूंकि महुआ निकटवर्ती विधानसभा सीट को यहाँ बीजेपी ने बहुत गंभीरता से खोया था। अब यह मामला इतना महत्वपूर्ण नहीं बन गया था। हुडला ने राजनितिक दल के टिकट से चुनाव लड़ा। इसमें उनकी असफलता नहीं हुई। चुनावों में वेटानों के साथ-साथ हैंडिकैप्ड और अपंगों पर जोर था। उनके अनुसार, “ये टिकट मेरे लिए एक दौड़ है।”
यह उनके स्वभाव की झलकी है, राजस्थान के बिगर पटना तहसील क्षेत्र में स्थित हुडला जिले के गांव हुडला से हैं। जानते हैं नहीं, पिता का नाम शिवचरन मीणा है। विधायक हुडला गोलमा देवी के पति के रूप में उनसे मिलिए। मामला कुछ इस तरह है। शिवचरन मीणा राज्यसभा सदस्य थे। हम सब को पता है कि उन दिनों वसुंधरा राजे सत्ता में थीं। इसलिए, उन्होंने उन्हें संसदीय सचिव बना दिया था। वहां लगभग सात वर्षों तक जिम्मेदारी संभाली। आमतौर पर, यह सबसे कठिनाई का काम है, दर्शाने वाला नहीं होता है। लेकिन वह मित्र थीं। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ये बहुत ही उत्साहजनक कार्यक्रम था।
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