अमित शाह के बयान के बाद पार्टी में चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा किए गए बयान के पश्चात पार्टी में चर्चा के बादल छाए हुए हैं। इसमें पार्टी के नायक द्वारा अच्छी प्रकार से अंदाज़ा लगाया गया है कि अगर पार्टी चुनाव में विजयी होती है, तो किसे चुनेगी वह अगर प्रदेश कोई सीएम चुनेगी, तो कौन होगा वह सीएम?
प्रमुख नेताओं में दिनों के दौरान इस बयान पर चर्चा चर्चा क्रमश: बढ़ी जा रही है। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय के साथ राज्य अध्यक्ष एटाला राजेंदर, डॉ. लक्ष्मण के, और धर्मपुरी अरविंद के नाम चर्चा के मद्देनज़र आ रहे हैं।
बचे हुए तीन नेताओं में से लक्ष्मण को पहले से ही राज्यसभा की सीट प्राप्त है, जबकि बाकी नेताओं की उम्मीद चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए लढ़ने की है। कहीं-न-कहीं पार्टी की एकता पर इस चर्चा का असर दिखाई दे रहा है और सुनिश्चित की जा रही है कि इसपर आगे खींचतानी न हो।
राज्य की जनता और बीजेपी के कद्दावर नेताओं के लिए अब यह सवाल महत्वपूर्ण हो गया है और उन्हें यह तय करना होगा कि किसे वह अपना स्वामी मानेंगे। इस चर्चा के पश्चात अन्य प्रमुख दलों और विपक्षी दलों द्वारा भी मुद्दा उठाया गया है।
पार्टी के नेताओं ने इस बयान पर खुलकर चर्चा की है। अब इस पर कार्रवाई की जा सकती है या फिर मामला दबा रखे जाएंगे, यह चर्चा का मुक़द्दमा आगे बढ़ाया जा सकती है। जनता और पार्टी के नेताओं के लिए यह बयान का विषय महत्वपूर्ण होता जा रहा है और इसपर चर्चा की जा रही है।
बंदी संजय के साथ एटाला राजेंदर, डॉ. के लक्ष्मण, और धर्मपुरी अरविंद इत्यादि नेताओं के नाम चर्चा के मद्देनज़र यह आपस में टकरा रहे हैं। इसमें लक्ष्मण लगभग अग्रणी दिख रहे हैं क्योंकि उन्हें पहले से ही राज्यसभा की सीट प्राप्त है, जबकि बाकी नेताओं का मतभेद मुख्यमंत्री पद के लिए रहा।
यह चर्चा बीजेपी के अंदरी चालान की तस्वीर दिखा रही है जहां प्रमुख नेता बंदी संजय के साथ अगले मुख्यमंत्री के रूप में लड़ रहे हैं। अगर बात ध्यान से देखे तो पता चलता है कि पार्टी के नेताओं के बीच मतभेद छिढे़ रहे हैं और यह फैसला करना समय लगाएगा कि कौन होगा पार्टी का मुख्यमंत्री।
इस बयान के बाद से राज्य की जनता ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है और वह तय करने की चाहत की है कि कौन होगा प्रदेश का मुख्यमंत्री। इससे पहले की अंतेस्ति तक यह अवस्था बनी रह सकती है और इस पर नेताओं के बीच घनिष्ठता नहीं आ सकेगी।
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