‘रविवार को चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेसएक्स के रॉकेट से सफलतापूर्वक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए अपनी यात्रा शुरू की है। यह अमेरिका के इतिहास में पहली बार हुई है, जब एक अंतरिक्ष यान में अलग-अलग देशों के यात्री बैठे हैं। इस यात्रा में शामिल हैं नासा की अंतरिक्ष यात्री जैस्मीन मोघबेली, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के यात्री एंड्रियास मोगेन्सन, जेएक्सए के यात्री सातोशी फुरुकावा और रोस्कोस्मोस के यात्री कॉन्स्टेंटिन बोरिसोव। इनमें से जैस्मीन मोघबेली के माता-पिता 1979 की क्रांति के दौरान ईरान से भाग गए थे।
इस यात्रा को ‘मिशन क्रू-7′ के नाम से जाना जाएगा, जिसमें अमेरिका, जापान, रूस और डेनमार्क का सहयोग है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के महानिदेशक ने इस मिशन की तारीफ की और कहा कि ये यात्रियों के लिए पहली अंतरिक्ष यात्रा है। क्रेडिट केवल इन्हीं ने लिया है, क्योंकि वे डेनमार्क, जापान, रूस और अमेरिका के नागरिक हैं। इसके आगे के यात्रियों को इस व्यापक नए क्षेत्र के खुलने के लिए धन्यवाद और शुभकामनाएं मिली हैं।
इस मिशन को देखते हुए उम्मीद है कि इससे ईरानी लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी। ईरान एक ऐसा देश है जहां महिलाओं का अंतरिक्ष यात्रा में कोई अधिकार नहीं है, लेकिन जैस्मीन के माता-पिता के उदार विचार और हार्डवर्क की वजह से यहां के बच्चे करियर के नए दिशाओं को देख सकते हैं। जब जैस्मीन के पिता घर से बाहर गए थे, तो उन्हें बहुत सारे लोग ने घृणा और नकारात्मक नजर से देखा था। इसलिए यह मिशन ईरानी लड़कियों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन सकती है और उन्हें इंसानियत के समस्त मजहबों के साथी बनाने में मदद कर सकती है।
ये अंतरिक्ष यात्रियों का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अंतरिक्ष के नए सीमाओं और खुदरा प्रयोगों की ओर एक प्रगति को दर्शाता है। इसके साथ ही यह एक बड़ा अवसर है जब दुनिया की सभी महिलाएं मिलकर एक न केवल अंतरिक्ष यात्रा में सामील हो सकेंगी, बल्की व्यापार या और किसी क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना सकेंगी।’
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