उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ईर्ष्या वाले घाटी में रविवार को निर्माणाधीन टनल में भूस्खलन हुआ है। इस हादसे में खुदाई कर रहे करीब 40 मजदूरों ने अपने जीवनों की भीषण आपदा का सामना किया। इसके बाद से तीन दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है तथा इसकी सफलता के लिए अगरड्रिलिंग मशीन का भी प्रयोग किया जाएगा। यह 900 मिमी स्टील पाइप मलबे में लगाए जा सकेंगे और इससे फंसे हुए मजदूर तुरंत सुरक्षित बाहर घर जा सकेंगे।
इस घटना के बाद, सुरंग के निर्माण में लगे विभाग ने तुरंत कार्रवाई कि है। मौके पर अब आपोजिट दिशा में 900 मिमी के पाइप पहुंच चुके हैं तथा ऑगर ड्रिलिंग मशीन के लिए प्लेटफार्म भी तैयार कर लिया गया है। यह मशीन कार्यक्रम मंगलवार रात या बुधवार तक रेस्क्यू मिशन को पूरा करने में सक्षम हो जाएगी।
यह सुरंग, जिसे विभाजित की जा रही है, यमुनोत्री धाम से उत्तरकाशी तक के सफर को काफी आसान बना देगी। इसके लिए पहले यह मार्च 2023 में पूरा होना था, लेकिन अब इसे मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका बनावटी खर्च 853 करोड़ रुपये का होगा।
यमुनोत्री धाम और इसे जुड़ने वाले पर्यटन स्थलों की ओर के लिए यह टनल अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा। क्योंकि इससे पर्यटन और धार्मिक स्थलों के बीच का समय 26 किलोमीटर कम हो जाएगा।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस घटना से पूरा संघ काफी चौंका है। नगर निगम विभाग, पुलिस विभाग, अस्पताल विभाग सहित अन्य सभी संगठन तत्पर शीघ्र रेस्क्यू और सुरक्षा कार्रवाई के लिए काम कर रहे हैं। इसके अलावा, सभी फंसे हुए मजदूर टनल के भीतर सुरक्षित हैं और उन्हें खाना-पानी और ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है।
उत्तरकाशी में हुए टनल में भूस्खलन की गंभीर घटना ने मजदूरों के जीवनों की खतरा में डालकर वहां के लोगों के मन में आई निराशा और दुख का कारण बन गई है। इस त्रासदी को देखते हुए बाजार और शहर का माहौल गहराता जा रहा है। नोवेल कोरोना वायरस की महामारी के समय ऐसे घटनाओं ने अच्छाई की उम्मीद को एक खाका बना दिया है। लोगों की यही अपेक्षा है कि सरकार शीघ्र इस दुखद वारदात का समाधान करें और इसा बगीचे को दोबारा उजागर करने की कोशिश करें।
हमें उम्मीद है कि सरकार की आदर्शवादी नीतियों और कठिनाइयों का सामर्थ्य सबित करने के लिए वे जल्द से जल्द आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। ताकि उत्तराखंड के लोग वापसी के रंग में बदल जाएं, खुदरा व्यापार तेजी के रास्ते पर चलने लगें और पर्यटक राज्य में वापसी का सफर आसान हो जाए।
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