शागाली, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र भी मौसमी बलवा का सामना कर रहे हैं। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इन राज्यों में 50 से 60 मिलीमीटर बारिश की संभावना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अल नीनो किसानों के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है। क्योंकि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में धान का मौसमी निर्धारण सितंबर और अक्टूबर में होता है, जब बारिश की आवश्यकता अधिक होती है।
मौसम विभाग ने यह भी सूचित किया है कि अगर इंडियन ओशन डिपार्टमेंट की भविष्यवाणी सही साबित होती है, तो इस बार 22 सितंबर के बाद राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बारिश की जल्दी हो सकती है।
जबकि, इस वर्ष अक्टूबर के दौरान बारिश की कमी देखी जा सकती है। इसके कारण, कृषि के लिए पानी की कमी हो सकती है और किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। सरकार से अनुरोध है कि वह किसानों को उचित मदद प्रदान करे और इस मुश्किल समय में उन्हें सहारा दे।
इस वर्ष की मौसमी भविष्यवाणी से जुड़ी जानकारी के आधार पर लोगों को अपनी योजनाओं में बदलाव करने की सलाह दी जा रही है। ठंडी पहनने की तैयारी शुरू कर दी जाए और पानी की संरचना की जाँच की जाए। मौसम विभाग की विभिन्न सेवाओं का उपयोग करके लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है, ताकि उन्हें आगामी मौसमी परिवर्तनों के बारे में अग्रिम जानकारी मिल सके।
एक बार फिर, सरकार से इस मौसमी परिवर्तन के बावजूद जनता के साथी बनने की अपील की जाती है। जनता को अपनी सुरखियों का ख्याल रखने के साथ ही, यथार्थ को समाचार पोर्टल्स के माध्यम से सच्चाई से अवगत कराने के लिए भी जवाबदेही भाव से बरतने द्वारा एक सशक्त माध्यम के रूप में कार्य करने की आवश्यकता होगी।
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