अनंतनाग अटैक में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और डीएसपी हुमायूं भट शहीद हो गए। आतंकियों के साथ की ज़िम्मेदारी निभाते हुए ये जवान अपनी जान को कुर्बान कर दिया। भारतीय जनता उनका सम्मान करते हुए उन्हें नम आंखों से विदाई दे रही है।
अनंतनाग: एक अटैक में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और डीएसपी हुमायूं भट की शहादत हो गई है। दुखद घटना अनुसार, अतिक्रमणकारियों और आतंकियों के खिलाफ युद्ध करते हुए इन जवानों ने अपनी जानों की बाजीश दे दी है। उनकी इस क्षणिक महान कर्मयोग के बाद, देश के लोग उन्हें शहीदों की श्रेणी में स्वीकार कर रहे हैं।
भारतीय जनता उनका सम्मान करते हुए उन्हें नम आंखों से विदाई दे रही है। इन वीर जवानों के बलिदान ने एक बार फिर से दिखाया है कि हमारे देश के जवान सदैव अपनी जानों को देश की रक्षा में समर्पित करने के लिए तत्पर हैं। यह ईमानदारी, निष्ठा और देशभक्ति की मिसाल है।
इन वीर जवानों की शहादत का समाचार देश के हर कोने में सहारा बना हुआ है। लोग सोशल मीडिया पर उन्हें वीर राजपूत की तरह सलाम कर रहे हैं और उनके बलिदान की प्रशंसा कर रहे हैं। इस आतंकी हमले के समय भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपनी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी की मिसाल स्थापित की है।
देश ने उन्हें एक साथ मानकर उनके साहस और बलिदान को सराहा है। कर्नल के अलावा, ब्रिगेडियर आशीष धौंचक भी इस अटैक में शहीद हो गए। अपराधी और आतंकी ग्रुप्स ने अपनी हिंसा और नफरत का विरोध करने के लिए हमारे सुरक्षाबलों के खिलाफ हमला किया है।
आतंकी हमले में हमारे जवानों को दिखाए गए साहस, बलिदान और दृढ़ता की मिसाल है। शहीद जवानों की मृत्यु से एक और मातृभूमि के लिए साहस और बलिदान की उदाहरण मिला है। ये जवान देश की लाश पर अंगुलीयों का पोंछा रहे हैं और हम सबको इसे समझना चाहिए।
इस अटैक से पूरे देश में गहरा शोक मना रहा है। हम इस शोक के मद्देनजर उन वीर जवानों के परिवारों के पास खड़े हैं और उनके परिवार पर पूरा ध्यान देने की जिम्मेदारी निभा रहें हैं। हम सबको ये याद रखना चाहिए कि जब हमारे जवान अपनी जान देकर हमें सुरक्षित रखते हैं, तो हमें उनकी शहादत को सबसे बड़ा सम्मान देना चाहिए।
इन वीर जवानों की यात्रा अंतिम संस्कार के दौरान मेजर आशीष धौंचक को भीड़ ने उमड़ा। उनकी शहादत देश की सेना को और उनके परिवार को अपार सम्मान का प्रतीक है। यह शहीद जवानों के बलिदान से हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारी सुरक्षा हमारे वीर जवानों के सामर्थ्य, समर्पण और बलिदान पर निर्भर है।
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