यूपी में हुए उपचुनाव के नतीजे जहां एक ओर विपक्ष की उम्मीदों को हौसला देने वाले हैं तो वहीं बीजेपी के लिए चिंता और दुविधा लेकर आई हैं। चिंता इसलिए क्योंकि मात्र एक साल में ही आमचुनाव होने वाले हैं। और दुविधा इस लिहाज से की क्या यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही आम चुनाव में जाएगी बीजेपी। क्या उनके नेतृत्व में मिली इस हार के बाद सूबे की कमान किसी और को सौंपी जाएगी। कई सवाल इस चुनावी नतीजे के बाद बीजेपी के सामने उभर कर आए हैं जिनपर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व मंथन करेगा।
जानकारों की मानें तो केंद्र में सरकार बनाने के लिए यूपी सबसे अहम राज्य है और बीजेपी कभी नहीं चाहेगी कि इस राज्य में सियासी जमीन किसी भी हाल में कमजोर हो। पार्टी के अंदर ये सवाल जरूर उठेंगे कि 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को गठबंधन को यूपी की 80 में से 73 सीटें हासिल हुई थीं। लेकिन चार साल बाद लोकसभा की दो सीटों के लिए उपचुनाव हुए और योगी के नेतृत्व में बीजेपी दोनों सीटें कैसे हार गई।
बहरहाल, उपचुनावों की इस हार से योगी आदित्यनाथ कमजोर होंगे या नहीं ये कहना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि ऐसा माना जाता रहा है कि योगी को संघ का साथ है और एक लोकप्रिय युवा नेता होने की वजह से संघ उन्हें काफी आगे तक ले जाना चाहता है। लेकिन अब यूपी में मिली करारी हार के बाद यह देखना होगा कि संघ योगी पर दांव लगाता है या नहीं।