शरद यादव और अली अनवर को राज्य सभा से अयोग्य ठहराए जाने को लेकर राजनीति गरमाने लगी है. माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने वरिष्ठ नेता शरद यादव को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के फैसले के नकारात्मक असर के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि सभापति के फैसलों को सवालों से ऊपर होना चाहिये. जदयू के राज्यसभा सदस्य यादव और अली अनवर को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू द्वारा कल सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने पर येचुरी ने मंगलवार को अपनी प्रतिक्रिया में यह बात कही.
येचुरी ने ट्वीट कर कहा ‘‘राज्यसभा के सभापति के फैसले सवालों के दायरे से बाहर होना जरूरी हैं, लेकिन राज्यसभा सांसद शरद यादव और अली अनवर को अयोग्य घोषित करने के फैसले से असर तो होगा.’’ येचुरी ने नायडू के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस तेजी से यह फैसला किया गया, उससे दिमाग में संशय पैदा होता है. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा ‘‘दो सितंबर को इस मामले में याचिका दायर हुई थी और चार दिसंबर को फैसला आ गया. फैसले की गति दिमाग में शक पैदा करती है. इस तरह के तमाम अन्य मामले लोकसभा में एक साल से अधिक समय से लंबित हैं. इससे साफ है ऐसे मामलों में राजनीतिक झुकाव अहमियत रखता है.’’
राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता आर सी पी सिंह ने यादव और अनवर को पार्टी विरोधी गतिविधयों में शामिल होने के आधार पर सभापति के समक्ष इन दोनों की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया था. सभापति ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कल यह फैसला दिया है. इस मामले में सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से मना कर दिया. यादव ने कहा कि वह राज्यसभा के सभापति के निर्णय पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.