भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी प्रमुख अमित शाह के बेटे का बचाव करने के लिए अपनी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि इसने इतने वर्षों में अर्जित अपने उच्च नैतिक आधार को खो दिया। मोदी सरकार की वित्तीय नीतियों के कट्टर आलोचक पूर्व वित्त मंत्री ने ‘द वायर’ के खिलाफ सौ करोड़ रुपए की मानहानि याचिका पर भी आपत्ति जताई जिसमें जय शाह के व्यवसाय पर एक आलेख प्रकाशित हुआ है। उन्होंने यहां कहा कि मीडिया की आवाज को दबाने के ऐसे प्रयास से बचा जा सकता था।
यशवंत सिन्हा ने एक बातचीत में कहा, 'इस मामले की योग्यता पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, क्योंकि यह जांच का विषय है। लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि जिस तरीके से केंद्रीय मंत्री इस मामले में मैदान में कूदे हैं, वह एक केंद्रीय मंत्री हैं, न कि जय शाह के चाटर्ड अकाउंटेंट।'
सिन्हा ने इसके अलावा अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता को जय शाह का मामला लेने की अनुमति देने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, 'इसे टाला जा सकता था और ऐसा नहीं होना चाहिए था। जिस विशेष परिस्थिति में अतिरिक्त महाधिवक्ता को संबंधित व्यक्ति के बचाव की अनुमति दी गई है, उससे भी कई मुद्दे खड़े होते हैं और मेरी समझ से इससे भी बचा जाना चाहिए था।'
पूर्व वित्तमंत्री ने कहा, 'इन सब को देखते हुए कहा जा सकता है कि इतने सालों में जो हमने उच्च नैतिक जमीन तैयार की थी, उसे खो दी है।' जय शाह की कंपनी ने कथित रूप से साल 2015 में 80 करोड़ रुपये का कारोबार दर्ज किया था, जबकि इसके पिछले साल कंपनी का कारोबार महज 50,000 रुपये था।
सरकार के अर्थव्यवस्था प्रबंधन पर आरोप लगाने के बाद सिन्हा ने यह दूसरा हमला बोला है। प्रधानमंत्री मोदी ने बाद में सफाई दी थी कि अर्थव्यवस्था पटरी पर है।