मकर संक्रांति के बाद सत्ता की संक्रांति
क्या मकर संक्रांति के बाद झारखण्ड में सत्ता संक्रांति होने जा रही है! सत्ता के गलियारों में तो यही चर्चा चल रही है। बताया जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद भाजपा केंद्रीय नेतृत्व झारखंड सरकार और संगठन में बड़ा फेरबदल कर सकता है, इसकी कवायद शुरू हो चुकी है। अब चर्चा यह हो रही है कि रघुवर के बाद कौन! इस दौड़ में नीलकंठ सिंह मुंडा का नाम सबसे आगे चल रहा है। हालांकि स्पीकर दिनेश उरांव और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के नाम की भी चर्चा है।
मुख्यमंत्री रघुवर दास को हटाये जाने की बातें पहले भी कई बार खूब हुई हैं पर अंततः उस पर विराम लगता रहा है। लेकिन भाजपा की सियासी नब्ज पर नजर रखने वालों की मानें तो इस बार मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है। उनका कहना है कि शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री का सदन में खुलेआम गाली-गलौज पर उतर जाना और फिर आपत्ति किए जाने पर अध्यक्ष दिनेश उरांव से ही उलझ जाना, भाजपा आलाकमान को नागवार गुजरा है। इसके साथ ही हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा ब्राह्मणों को मंच से खुलेआम अपशब्द कहना भी आग में घी डालने जैसा साबित हुआ है। भाजपा के कई नेता भी इस बात को मान रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व इस बात को पचा नहीं पा रहा है कि कोई मुख्यमंत्री इस प्रकार का आचरण सार्वजनिक स्थानों पर कर सकता है।
पिछले कुछ दिनों में स्पीकर के रुख को देखते हुए झाविमो से भाजपा में आये विधायकों की साँसें फूल रही थी। इन विधायकों ने दिल्ली दरबार में त्राहि माम भी किया, इसके बाद कई रघुवर विरोधी विधायक भी दिल्ली पहुंचे। सबने सीएम की आलोचना की।
इन सबके बीच रांची से लेकर दिल्ली तक नेतृत्व परिर्वतन को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। पार्टी के अंदर से मिल रही जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस में पहले नंबर पर मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा हैं जबकि विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव दूसरे नंबर पर हैं। वैसे इस बात पर भी माथापच्ची हो रही है कि मुख्यमंत्री कोई ऐसा व्यक्ति हो जो मिशन 2019 की मुहिम को सफलतापूर्वक हासिल तो करे ही, इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी का झंडा बुलंद करे। इसलिए कई मुद्दों पर मंथऩ किया जा रहा है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि किसके सिर पर मुख्यमंत्री का ताज सजेगा।