सार्वजनिक जीवन में बेशर्मी से झूठ की खेती करना कोई बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीखे। तीन दिन पहले जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की जयंती पर उन्होंने सबों के सामने कहा था कि नंदन गाँव के निर्दोष महादलितों को छोड़ दिया जायेगा। उन्होंने डीजीपी को बोल दिया है। न्यायालय में भी उनकी सरकार निर्दोष लोगों की ज़मानत का विरोध नहीं करेगी। लेकिन वो फिर यू-टर्न मार गए! अगले दिन ही उनका सरकारी वक़ील ग़रीब महादलितों जिसमें गर्भवती समेत 10 निर्दोष महिलायें थी, उनकी ज़मानत का पुरज़ोर विरोध कर रहा था। कौन ऐसे मुख्यमंत्री पर यक़ीन करेगा?
बिहार की जनता को इस पर सोचकर स्वयं को ही जवाब देना चाहिए , क्योंकि मुख्यमंत्री तो ख़ुद ऐसे ग़रीबों को प्रताड़ित करने वाले मुद्दों पर मुँह खोलते ही नहीं!
नीतीश कुमार बतायें, वो किस नैतिकता की दुहाई देते फिरते हैं? लगता है उनकी नैतिकता का रंग गहरा काला है और वो काले गहरे अंधेरे में ही अपनी उस नैतिकता से रूबरू होते हैं। पता नहीं इस पद पर बैठा व्यक्ति कैसे सरेआम बिहारवासियों को झूठ बोलकर गुमराह करने का साहस जुटा पाता है? लगता है उनकी अंतरात्मा भाजपा से अनैतिक गठबंधन करने के बाद ज़्यादा ही मलीन हो गई है।
नदंन गाँव घटना में 102 नामजद और करीब 700 अज्ञात अभियुक्त बनाए गए हैं । 29 महादलितों को गिरफ़्तार किया गया है जिसमें 10 महिलायें शामिल हैं। इन गरीब निर्दोष महिलाओं के छोटे-छोटे बच्चों को अपनी माँओ की गैर-मौजूदगी में ठीक से रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है। मकर संक्रान्ति से ये सब नादान बच्चे भूखे हैं। क्या नीतीश कुमार को उन भूखे बच्चों को देखकर कोई मानसिक संतुष्टि प्राप्त हो रही है?
अनुसूचित जाति के चार लोग बीरेन्द्र पासवान, विनय राम, इन्द्रजीत राम व लूटन राम विदेश में नौकरी करते हैं. उनका नाम भी FIR में शामिल किया गया है। कितना आश्चर्यजनक है कि विजय राम जो 2015 में ही स्वर्ग सिधार गए वो भी नामज़द अभियुक्त है। यह है नीतीश का न्याय के साथ विकास!
नीतीश कुमार & पार्टी अब पलटी मारने में इतनी विशेषज्ञ हो गयी है कि इन्होंने हमारे प्यारे तिरंगे को ही पलट दिया। नीतीश कुमार सीधा 360 डिग्री पर घुमकर लोगों को घुमाते है। उनकी पार्टी द्वारा तिरंगे के अपमान पर भी नीतीश कुमार को माफ़ी माँगनी चाहिए।