बिहार की सामाजिक न्याय की राजनीति में अभी तक नीतीश लालू ही दो ध्रुव थे. ये दोनों एक दूसरे पर शब्दभेदी तीर चलाते रहते थे लेकिन लालू की अनुपस्थिति में कुशवाहा वोटों का एक तीसरा त्रिकोण भी उभर आया है. अब जदयू और रालोसपा के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं और कमाल की बात यह है कि रालोसपा के पक्ष में राजद के नेता बयानबाज़ी कर रहे हैं. एनडीए के दो टुकड़े जदयू और रालोसपा के घमासान पर राजग के बड़े नेताओं की नज़र है. रालोसपा के साथ राजद के खड़ा होने पर भी राजग के नेता सवाल खड़ा कर रहे हैं.
उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी ने हाल ही में शिक्षा सुधार, मानव कतार कार्यक्रम किया था. इसे लेकर जदयू के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने उपेन्द्र कुशवाहा पर निशाना साधा. कहा कि वह केन्द्रीय मंत्री हैं तो पूरे देश में कार्यक्रम करें. सर्व शिक्षा अभियान का केन्द्रांश दिलाएं. उन्होंने कुशवाहा पर राजनीति करने का आरोप भी लगाया. जदयू सांसद संतोष कुशवाहा ने तो यहाँ तक कह दिया कि मानव कतार में वही लोग शामिल थे जो बिहार की शिक्षा की दुर्दशा के लिए जिम्मेवार हैं.
इसपर पलटवार करते हुए रालोसपा के वरिष्ठ नेता नागमणि ने जगदेव जयंती के मौके पर कहा कि नीतीश कुमार पलटू हैं. नागमणि ने कहा कि बिहार किसी की बपौती नहीं है. रालोसपा एनडीए की पुरानी पार्टनर है और हमेशा रहेगी, जबकि जदयू तो कुछ ही दिन पहले राजग से जुडी है. उन्होंने कह दिया कि उपेन्द्र कुशवाहा बिहार के अगले मुख्यमंत्री हैं.
जदयू और रालोसपा दरअसल यह साबित करने में जुटी हुई है कि कुशवाहा और अति पिछड़ों की बड़ी पार्टी वही है. उपेन्द्र कुशवाहा बिहार की तकरीबन 80 सीटों को कुशवाहा बहुल बता चुके हैं, ऐसे में उनकी दावेदारी मुख्यमंत्री पद की है. नीतीश कुमार के राजग में रहते यह संभव नहीं है. इसलिए सियासी धिन्गामुस्ती शुरू हो गयी है.