भागलपुर के बटेश्वर पंप नहर परियोजना की ढही दीवार ने बिहार की राजनीति की दीवार भी गिरा दी है। 8 करोड़ से 800 करोड़ तक खा चुकी यह परियोजना उसी दिन ढही, जिस दिन नीतीश कुमार इसका उद्घाटन करने वाले थे। भ्रष्टाचार की कमजोर दीवारें मुख्यमंत्री के आने तक का इंतज़ार नहीं कर पाई और बह गयी। यहीं से शुरू हुई राजनीति। लालू ने मौका हाथ से फिसलने नहीं दिया।
लालू ने आरोप लगाया नीतीश कुमार के खासमखास मंत्री ललन सिंह पर। लालू ने कहा, क्या घडियाल ने तोड़ दिया यह बाँध। पहले जब तटबंध टूटे थे और बाढ़ आयी थी तो ललन सिंह ने कहा था कि चूहे बांध कुतर गए। इस बार लालू ने बिना देर किये शुसाशन बाबू के दावों की हवा निकाल दी।
आखिर किस तरह का काम हो रहा है राज्य सरकार में। क्या अधिकारी लगातार सरकार की आंख में धुल झोंक रहे हैं! या नीचे से उपर तक केवल कमीशन का खेल चल रहा है।
लालू के इस हमले ने सरकार की बोलती बंद कर दी है। ना मंत्री कुछ बोल पा रहे हैं ना ही धवलदार मुख्यमंत्री। विभागीय जाँच का खेल आम आदमी खूब समझता है। इसलिए जितना देर होगा, जितना भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिशें होंगी, उतना ही विपक्ष को मौका मिलेगा।
दो दिन पहले ही देवघर के सांसद निशिकांत दुबे ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा था कि 40 साल से बन रहे इस पुल की हालत देखिये। उनका कटाक्ष सही साबित हुआ है। विपक्ष को बैठे- बिठाये एक मुद्दा मिल गया। देखिये आगे- आगे होता है क्या!