बीजेपी आलाकमान ने सांसद विनय कटियार को इस बार टिकट नहीं दिया है। कहा जा रहा है कि विनय कटियार ने राम मंदिर के मुद्दे को एक बार फिर जोरशोर से उठाया था और इसे लेकर आलाकमान तक बात पहुंचाई थी जिसके बाद इस प्रकार का निर्णय हुआ। बता दें कि विनय कटियार ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने यूपी में राम मंदिर आंदोलन की अलख जगाने में अहम योगदान दिया। 1984 में दो लोकसभा सीटों से बीजेपी अगर 1989 में 85 सीटों के आंकड़े तक पहुंच सकी तो इसमें कटियार की भूमिका कम नहीं रही।
मगर उत्तर प्रदेश में खाली हुई दस सीटों के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया, जबकि उनसे जूनियर कई नेताओं को मैदान में उतारा है। इसको लेकर कटियार के समर्थकों और पार्टी के अंदरखाने चर्चा शुरू हो गई है। कटियार के करीबियों का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिए नरेंद्र मोदी पर दबाव बनाने और आडवाणी को समर्थन देने की उन्हें कीमत चुकानी पड़ी है। इस समय जिन आठ नेताओं को बीजेपी यूपी से राज्यसभा के लिए भेज रही है, सभी कटियार से जूनियर हैं। इसमें अरुण जेटली, विजय पाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव, अशोक बाजपेयी। जेटली, राव राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हैं, जबकि अशोक बाजपेयी सपा छोड़कर भाजपा में आए हैं। बाकी पांच नेताओं की उत्तर प्रदेश में ही ज्यादा पहचान नहीं है।