रघुवर सरकार के खिलाफ एकजुट विपक्ष हमलावर हो गया है। सरकार की नीतियों पर जवाबी हमला करने का कोई वार खाली नहीं छोड़ रहा। कभी नोटबंदी तो कभी सीएनटी, एनडीए सरकार को उखाड़ फेकने के लिए विपक्षी दलों सहित विभिन्न समाजिक संगठनों ने एक जुट होकर राज्य सरकार के खिलाफ विगुल फूंक दिया है। सरकार की नीतियों के विरोध में विपक्ष ने 13 नवंबर महाधरना का आयोजन किया है।
इसमें सभी विपक्षी दलों के अलावा कई आदिवासी और मूलवासी संगठन भी शामिल होंगे। कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय ने कहा कि विपक्ष अब सरकार की मनमानी को किसी भी कीमत पर बरदाश्त नहीं करेगी। झारखण्ड को रघुवर सरकार से बचाने के लिए सभी विपक्षी दल 13 नवंबर को महाधरना करेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद सबसे अधिक समय तक बीजेपी ने ही राज किया। बीजेपी की सरकार ने लूट नीति, किसान विरोधी नीति अपनाती रही। गरीबों को भूखे मरने पर मजबूर कर दिया। रघुवर सरकार, सरकार नहीं गिरोह की तरह काम कर रही है। ईमानदार अधिकारी सरकार के समक्ष घुटने टेक चुके हैं।
वहीं जेवीएम सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ने कहा कि विपक्ष ने 8 नवंबर को काला दिवस के रूप में मनाया है। झारखण्ड में जमीन लूट विकास के नाम पर की जा रही है। आज सरकार लाठी के बल पर गरीबों से जमीन लूट रही है और जो इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उन्हें जेल में बंद कर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महाधरना के माध्यम से सरकार पर दवाब बनाने का काम किया जायेगा। उन्होंने मांग किया की सीएनटी/एसपीटी एक्ट के उल्लंघन के आरोप में राज्य भर में कैद लोगों पर से केस हटाए।
बाबूलाल मरांडी ने भूख से हुई मौत को गंभीर बताते हुए कहा कि सरकार इस मामले पर संवेदनहीनता के साथ राज्य के लोगों को बरगला रही है। जेवीएम ने सभी मौतों के तह तक जा कर उसकी जांच की है जिससे यह पता चलता है कि सभी मौतें भूख से ही हुई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अपना काम नहीं कर रही है। सरकार अडाणी जैसी कंपनी के साथ मिल कर यहां के गरीबों को लूटने का काम कर रही है।
वामदल के नेता के डी सिंह ने कहा कि राज्य में जमीन अधिग्रहण के नाम पर गरीबों को सताया जा रहा है और यह काम सरकार और यहां आने वाले प्राइवेट कंपनियों के पदाधिकारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वाम दल राज्य के लोगों की जमीन को बचाने के मुद्दे के साथ महाधरना में शामिल होगी।
आदिवासी मूलवासी संगठन के नेता ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि बीजेपी के तानाशाही रवैये को खत्म किया जाये। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासी मूलवासी के हत्यारे के रूप में काम कर रही है। नेता, मंत्री और अधिकारियों के बीच कोई सामंजस्य नहीं है।
आदिवासी नेता प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि सरकार आदिवासियों की संस्कृति को मिटाना चाहती है। राज्य में सरकार ने उच्चतम न्यायालय के जजमेंट को भी ताक पर रख कर आदिवासी क्षेत्र में खनन करवा रही है। सरकार की मंशा है कि राज्य के आदिवासी समाज को कुचला जाय।