झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर मुख्यसचिव राजबाला वर्मा, आईएएस अधिकारी एपी सिंह और आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। कहा है कि वर्तमान में पदस्थापित इन सभी वरीय अधिकारियों पर व्यक्तिगत स्तर पर हस्तक्षेप करते हुए पीएमओ के गंभीर निर्देश पर अविलंब राज्य सरकार को दिशा-निर्देश दें। ताकि राज्य सरकार इस पर अविलंब त्वरित कार्रवाई कर इन तीनों अधिकारियों को पदमुक्त करे और मामले की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच हाईकोर्ट के पीठासीन न्यायाधीश करायी जाए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली की तरफ से झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रधान सचिव को आयी एक चिट्ठी में भारत सरकार के अवर सचिव के सी राजू ने लिखा है। इसमें झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और सीनियर आईएएस अधिकारी एपी सिंह के खिलाफ शिकायत की गई है। इस चिट्ठी में आरोपी अधिकारियों पर उचित कार्रवाई करने का भी जिक्र है। शिकायत खूंटी जिला के जेवीएम के जिला अध्यक्ष दिलीप मिश्रा की तरफ से की गयी थी। दिलीप मिश्रा ने 2017 के जुलाई और सितंबर में सीएस राजबाला वर्मा और एपी सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि तत्कालीन पलामू की डीसी पूजा सिंघल के खिलाफ हो रही जांच में सीएस राजबाला वर्मा और एपी सिंह ने गलत तरीके से रिपोर्ट तैयार की और उनपर दोष साबित नहीं होने दिया।
पूजा सिंघल जिस वक्त पलामू की डीसी थीं। उन्होंने पलामू जिले के कठोतिया कोल ब्लॉक प्राइवेट लिमिटेड की करीब 200 एकड़ जमीन एक निजी कंपनी को आवंटित कर दी। इसके बाद ये जमीन एक निजी कंपनी ने बिरला ग्रुप को दे दिया। पूजा सिंघल पर आरोप था कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए ये कोल ब्लॉक एक निजी कंपनी को दी थी। मामले की जांच के लिए काफी हो-हंगामा हुआ। कमिश्नर स्तर से जांच करायी गयी। रिटायर्ड आईएएस और तत्कालीन पलामू कमिश्नर एनके मिश्रा ने मामले की जांच की। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि डीसी ने गलत तरीके से कोल ब्लॉक का आवंटन किया है। जिससे सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व की क्षति हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि कोल ब्लॉक का आवंटन सरकार के कहने पर कमिश्नर स्तर के अधिकारी की तरफ से किया जाना चाहिए, लेकिन डीसी रहते हुए पूजा सिंघल ने कठोतिया कोल ब्लॉक को एक निजी कंपनी को आवंटित कर दिया था।
पलामू के तत्कालीन कमिश्नर एनके मिश्रा की जांच रिपोर्ट के बाद चतरा, खूंटी और पलामू में पूजा सिंघल के डीसी रहते हुए कई मामले सामने आने लगे। जांच की बात होने लगी। सीएस राजबाला वर्मा ने जांच समिति का गठन किया। समिति के नियंत्री कार्य पदाधिकारी एपी सिंह थे। उन्होंने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपी। सरकार के स्तर से सीएस राजबाला वर्मा ने पूजा सिंघल को जांच में सभी आरोपों में बरी कर दिया। जबकि इन्हीं जांच मामलों में कई जेई और एई को जेल की हवा भी खानी पड़ी थी।
जेवीएम के खूंटी जिला अध्यक्ष दिलीप मिश्रा बार-बार ये आरोप लगा रहे थे कि सीएस और एपी सिंह मिलकर पूजा सिंघल को बचाने का काम कर रहे हैं। मामले को लेकर पार्टी फोरम से जांच की मांग कई बार दिलीप मिश्रा ने की। जांच की मांग सरकार की तरफ से नहीं मानने के बाद आखिरकार आरटीआई से सारे कागजातों को निकालने के बाद उन्होंने सीवीसी (चीफ विजिलेंस कमीशन) और पीएमओ में शिकायत दर्ज करायी। जिसके बाद पीएमओ की तरफ से सरकार के प्रधान सचिव को मामले पर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये हैं।