मंगलवार को सबकी नज़रें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी थी. लोगों को उम्मीद थी कि शायद अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम पर दिए अपने हाल के फ़ैसले पर शायद मंगलवार को कोर्ट पुनर्विचार करे. लेकिन शीर्ष अदालत ने इसपर रेाक लगाने से इंकार कर दिया. सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में सभी संबंधित पक्षों से 3 दिन में राय मांगी है. इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद तय की गई है. हालांकि अदालत ने इस केस में केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार दोपहर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की दलीलों को सुन कर टिप्पणी करते हुए कहा कि 'हम एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसी बेकसूर को सजा नहीं मिलनी चाहिए.’
भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते एससी/एसटी एक्ट पर शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के चलते जैसे देश में इमरजेंसी जैसे हालात हैं. हजारों लोग सड़क पर हैं. लिहाजा, इस आदेश पर फिलहाल रोक लगाई जाए.