झारखंड की राजनीति में दादा के नाम से प्रसिद्ध समरेश सिंह की दहाड़ कभी बिहार और झारखंड विधानसभा में चर्चा का विषय बना रहता था। एकीकृत बिहार में भाजपा के कद्दावर नेता के रूप में समरेश सिंह की एक अगल पहचान थी। करीब दो दशक तक वे बोकारो विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे। झारखंड अलग बनने के बाद वे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री बने।
समरेश सिंह की पहचान एक जूझारू और मजदूरों, श्रमिकों की आवाज बुलंद करते रहे। विधानसभा में भी उनके अंदाज अलहदा थे। सदन के अंदर अपना कुर्ता फाड़कर टेबुल पर चढ़कर हंगामा करना शायद ही कोई भूल पाएगा। 2004 में चुनाव हारने के बाद 2009 में वे झाविमो में चले गए। झाविमो के टिकट से 2009 में चुनाव जीते। लेकिन फिर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। लेकिन 2014 में टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी से रिश्ता तोड़ लिया। फिलहाल वे झारखंड की सियासत से दूर हैं।