प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर एक बार फिर संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने एतराज जताया है। मंच ने एकल ब्रांड खुदरा व्यापार (एसबीआरटी) और निर्माण विकास के लिए ऑटोमेटिक रूट से 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी देने के फैसले पर सरकार को निशाने पर लिया है। संघ परिवार से ही जुड़े भारतीय मदूर संघ ने भी मांग की है कि सरकार भारतीय बाजार पर विदेशी निवेश के असर पर श्वेत पेपर लेकर आए।
स्वदेशी जागरण मंच ने मांग की है कि सरकार इस फैसले पर तुरंत रोक लगाए। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा, 'एसबीआरटी में नियमों को आसान बनाना देश के हितों के खिलाफ है और मोदी सरकार की मेक इन इंडिया नीति के भी खिलाफ होगा। महाजन ने कहा कि विदेशी कंपनियों द्वारा पहली दुकान खोले जाने के पांच सालों के बाद भारत से 30 फीसदी खरीद को अनिवार्य करने की शर्त का फैसला चिंताजनक है।
उन्होंने कहा कि, 'इसे फैसले से विदेशी कंपनियां दुनिया के किभी भी हिस्से से उत्पाद खरीदने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगी। यह घरेलू उत्पादन के हितों के खिलाफ होगा और भारत में उत्पादन क्षेत्र में भविष्य के निवेश को हतोत्साहित करेगा और इसलिए मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने की सरकार की अपनी घोषित नीति के खिलाफ होगा।’ उन्होंने कहा, 'स्वदेशी जागरण मंच मांग करती है कि सरकार इस फैसले पर दोबारा विचार करे और देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा 30 फीसदी अनिवार्य खरीद की नीति के साथ छेड़छाड़ नहीं करे।'
स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के एयर इंडिया में 49 फीसदी तक विदेशी निवेश के फैसले और एफडीआई और एफआईआई के लिए नियमों को आसान बनाने के अन्य फैसलों पर भी गहरी नाराजगी व्यक्त की है। महाजन ने कहा कि संसदीय समिति की उस रिपोर्ट का सम्मान करने में समझदारी होगी, जिसने हाल ही में एयर इंडिया में विनिवेश नहीं करने की सिफारिश की है।