राज्यसभा चुनाव के लिए दो सीटों के लिए हो रही वोटिंग विधानसभा में खत्म हो गयी है। सभी पार्टियों के विधायकों ने अपने मत का प्रयोग किया है। आखिरी वोट साहेबगंज से बीजेपी विधायक अनंत ओझा ने एक बजकर 25 मिनट पर डाला। जबकि सबसे पहला वोट विधायक अमित महतो ने सुबह 9 बजे डाला। 81 विधायकों में से 80 विधायकों के वोट काउंट होंगे। क्योंकि गोमिया विधायक योगेन्द्र महतो की सदस्यता रद्द हो चुकी है।
बहरहाल, इन सब के बीच ये कहा जा रहा है कि आखिर क्यों यूपीए प्रत्याशी के पक्ष में बार-बार समर्थन जुटाने में विपक्ष विफल हो जाता है। इसके साथ ही ये सवाल भी उठने लगे हैं कि आखिर क्यों विपक्षी दल के विधायकों को लामबंद करने की शीर्ष नेताओं की रणनीति फेल हो जाती है। हालांकि जानकारों का कहना है कि इस मामले में झामुमो विधायक तो एकजुट दिखते हैं लेकिन कांग्रेस, झाविमो, लेफ्ट सहित अन्य विधायक एक छतरी के नीचे आते-आते बिखर जाते हैं। कहा जा रहा है कि ऐसा अक्सर देखा गया है कि विपक्षी दलों में आपसी वर्चस्व की लड़ाई इतनी गहरी है कि मित्रता में अंततः दरार पड़ जाती है। वहीं दूसरी ओर एनडीए विपक्ष की इस कमजोरी को अच्छी तरह जानता है इसीलिए पिछले कई राज्यसभा चुनावों में वह पहले से ही वैसे विधायकों को टारगेट में लेकर काम करता है जो यूपीए उम्मीदवार की जीत पर ग्रहण लगा सकते हैं। इसके साथ ही एनडीए हर वो स्ट्रैटजी अपनाता है जिससे विपक्ष को कमजोर किया जा सके जैसे पिछले राज्यसभा चुनाव के दौरान उसने कांग्रेस विधायक बिट्टू सिंह और निर्मला देवी के साथ किया जिसकी जद में पूर्व एडीजी अनुराग गुप्ता आ चुके हैं।