नेता प्रतिपक्ष और झामुमो कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने रघुवर सरकार के तीन साल पूरा होने पर गुरुवार को आरोपों की बौछार करते हुए कहा कि सरकार के सारे दावे को झूठे हैं। राज्य सरकार का विकास दर पुराना है। मुख्यमंत्री महिलाओं के लिए पचास लाख रुपये तक के जमीन की रजिस्ट्री एक रुपये में करने की बात कहते हैं। लेकिन क्या 50 या 25 लाख रुपये तक की जमीन खरीदने की क्षमता क्या गरीब महिलाओं के बूते में है? यह अमीर महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि रघुवर दास की मौजूदा सरकार विज्ञापनों की सरकार है। विज्ञापन और पोस्टरों में हीरो और जमीन पर जीरो वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है यह सरकार। उन्होंने सीएम से पूछा कि जमीन पर क्या काम हुआ है और इसमें नया क्या है वह राज्य की जनता को बताएं। राज्य सरकार एक लाख युवाओं को राजगार देने की झूठा प्रचार कर रही है जबकि आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में मात्र 15 लाख रोजगार का सृजन हुआ है।
हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य की महिलाओं को खैरात नहीं चाहिए। उन्हें अपना हक, अधिकार और राज्य में सम्मान चाहिए। आज राज्य की स्थिति दयनीय हो गई है। हत्या, बलात्कार, लूट जैसी घटनाओं को अपराधी दिन-दहाड़े अंजाम दे रहे हैं। प्रशासन नाम का कोई चीज नहीं रह गया है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए। कहा कि राज्य में हक की मांग करने वाले लोगों पर इस सरकार द्वारा लाठी और गोलियां चलायी जाती है। ऐसी सरकार से जनता और क्या अपेक्षा रखेगी। पारदर्शी सरकार का दावा करने वाली इस सरकार के मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। राज्य के मुखिया सदन में असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हैं।
श्री सोरेन ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जो सरकार तीन वर्षो में भी मंत्रिमंडल को पूर्ण नहीं कर सकी वैसी सरकार से राज्य के विकास की बात बेमानी है। यह भी राजनीतिक भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि मोमेंटम झारखंड में हुई लूट सबके सामने है। यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। राज्य में पहले से स्थापित औद्योगिक घराने अपना उद्योग धंधा समेट कर जा रहे हैं जबकि यह सरकार बाहर के औद्योगिक घरानों को यहां बुलाने के लिए राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई को पानी की तरह बहा रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर राज्य सरकार महिलाओं को रोजगार और नौकरी देने की बात कर रही है वहीं दूसरी ओर राज्य में कार्यरत सेविकाओं, सहायिकाओं को काफी समय से वेतन नहीं मिल रहा है। ऐसे में सीएम के कथनी और करनी में काफी संशय है। उन्होंने कहा कि इस सरकार द्वारा अपने पसंद के कार्य नहीं करने का जीता जागता उदाहरण यह भी है कि तीन वर्षों के अंदर पांच-पांच खान सचिवों को बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि यह सरकार जनहित की सरकार नहीं है। कुछ औद्योगिक घरानों के हित में कार्य को पूरा करने के उदेश्य से लगी इस सरकार में मंत्रियों को भी अपने हक की बात कहने का अधिकार नहीं है। वैसी सरकार राज्य की जनता की बात क्या सुनेगी।