जेवीएम के महासचिव प्रदीप यादव सत्ता का दमन झेलकर कई महीनों बाद पार्टी मुख्यालय पहुंचे। पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इनका औपचारिक स्वागत किया। होलियाना माहौल बना रांची के पार्टी मुख्यालय में। प्रदीप ने भी लगातार संघर्ष की बात कही। कई मुद्दों पर संघर्ष की सहमति बनी लेकिन एक सवाल सबकी जुबान पर था, राज्य सरकार विपक्ष का जैसा दमन कर रही है, वो अभुतपूर्व है।
दरअसल प्रदीप यादव को जिस तरह जेल में रखा गया, जिस तरह राज्य सरकार ने एक चुने हुए जन प्रतिनिधि का बेल रिजेक्ट कराने के लिए महाधिवक्ता पद को भी विवादों में घसीट दिया, जिस तरह एक हाई कोर्ट जज को टिप्पणी करनी पड़ी कि आखिरकार एक विधायक के बेल के खिलाफ अपर महाधिवक्ता से लेकर महाधिवक्ता तक क्यों इतने सक्रिय हैं! क्या प्रदीप यादव अपराधी हैं!
फिर भी प्रदीप यादव को आरोप से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा। जानकार बताते हैं अडानी पॉवर ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था। किसी भी कीमत पर यादव को अधिक से अधिक समय तक जेल के अंदर रखकर इलाके में विरोधी स्वर को पूरी तरह दबा दिया जाये। हुआ भी यही। राज्य सरकार ने अदानी के दवाब में विरोध को पूरी तरह कुचल दिया।
झाविमो की ताकत भी इतनी कम हो चुकी है कि प्रदीप की रिहाई के लिए चलाये गए आन्दोलन सरकार की तानाशाही को रोक नहीं पाई।