मिशन 2019 की तैयारी में बीजेपी पूरी तरह जुट गई है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी ने इसके लिए अपने सभी मंत्रियों और सांसदों को पहले ही आगाह कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट ताकीद की है कि सारे सांसद अपने-अपने क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों के बारे में आम लोगों को अधिक से अधिक जानकारी दें। उधर, आरएसएस ने भी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अपने कैंपेन की शुरुआत कर दी है। इसी सिलसिले में संघ ने बीजेपी के लिए सियासी जमीन तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। संघ प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं।
जानकारों की मानें तो देश के सबसे बड़े सूबे की सियासी मिजाज की थाह लेने में जुटे हैं। वो राज्य के तीन शहरों में बड़ी बैठकें करेंगे जिनके जरिए पूरे यूपी को कवर किया जाएगा। इन बैठकों में संघ के नेताओं, स्वयंसेवकों के साथ-साथ बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
वहीं संघ प्रमुख ने अपने दौरे का आगाज पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से किया है। पिछले तीन-चार दिन से वे वाराणसी में हैं और 21 फरवरी तक यहां लगातार संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। वाराणसी में काशी, गोरक्ष और अवध प्रांत से संघ और उसके सहयोगी संगठनों से जुड़े लोगों को बुलाया गया है। बता दें कि संघ की भाषा में गोरखपुर और उसके आसपास का इलाके को गोरक्ष, जबकि लखनऊ से सटे इलाके को अवध क्षेत्र कहा जाता है।
वहीं वाराणसी दौरे के आखिरी दिन काशी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में भागवत हज़ारों स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे। इस दौरान सरसंघचालक के साथ भैयाजी जोशी और कृष्ण गोपाल भी रहेंगे। खास बात ये है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी इस कार्यक्रम में शिरकत करने वाले हैं। बता दें कि 2014 के चुनाव से पहले भी वाराणसी में ऐसी ही बैठक हुई थी, जिसके बाद ही मोदी के वाराणसी से चुनाव लड़ने पर मुहर लगी थी। माना जा रहा है कि 2019 की तैयारी के मकसद से भागवत फिर काशी क्षेत्र में संघ के स्वयंसेवकों के साथ बैठकें कर रहे हैं।
भागवत के दौरे की आखिरी बैठक पश्चिमी क्षेत्र की होगी, जो मेरठ में होगी। मेरठ से सटे मुरादाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, नोएडा, गाजियाबाद और बुलंदशहर समेत यूपी के 14 जिले और उत्तराखंड के कुछ इलाके इस क्षेत्र में आते हैं। मेरठ में 25 फरवरी को आरएसएस एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहा है, जिसे संघ ने महासमागम का नाम दिया है। इस महासमागम में करीब ढाई लाख स्वयंसेवकों को बुलाया गया है। इसमें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत भी शामिल हो सकते हैं।