इन दिनों राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता वेंडर बनकर रह गए हैं. राजनेताओं ने कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया है. अब इवैंट मैनेजमेंट के जरिए राजनीति हो रही है. ऐसे में ना तो कार्यकर्ता पार्टी का झोला उठा रहे हैं और ना ही पार्टी वर्कर्स को पूछ रही है. न ब्लॉक में कार्यकर्ताओं को कोई पूछ रहा है और ना ही थाने में. 10% कमिटेड वर्कर हताश हैं. पार्टी की विचारधारा हाशिए पर है. सब कुछ व्यक्तिगत छवि पर निर्भर है. यह राजनीति का संक्रमण काल है. जेडीयू के वरिष्ठ नेता संजय वर्मा ने राजनीति गुरु से यह बातें शेयर की.
संजय वर्मा ने कहा कि वह किसी एक दल की बात नहीं कर रहे. कमोबेश सारे दल में यही स्थिति है. लेकिन जदयू के मामले में बात कुछ अलग है. यहां कई फोरम हैं जहां वर्कर्स अपनी बात कहते हैं.
चर्चित वैचारिक ग्रुप S फोर के संस्थापक रहे संजय वर्मा बिहार में ऊंची जाति आयोग बनाने के लिए नीतीश कुमार की तारीफ करते हैं. वह कहते हैं, देश में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने ऐसा किया और ऊंची जाति के लोगों की चिंता की. उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि वह राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसा आयोग बनाने की पहल करें. इससे पूरे देश में ऊंची जाति के लोगों का भला होगा और उन्हें मुकम्मल राजनीति पहचान मिल पाएगी.