राजद प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने जदयू प्रवक्ता द्वारा दिए गए बयान पर तीखा पटलवार किया है, उन्होंने कहा कि जदयू को लालू प्रसाद के सामाजिक न्याय की लड़ाई की रत्ती भर जानकारी नहीं है, जदयू को ये भी पता नहीं की राजद ने ही सबसे पहले दलितों को उनके हक की लड़ाई में आवाज बुलंद किया है।
राजद के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा है कि दलितों के बीच पार्टी के बढ़ते जनाधार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव की बढ़ती लोकप्रियता से जेडीयू-बीजेपी में भारी घबराहट दिखायी पड़ रही है। उन्होंने कहा है कि जदयू को बताना चाहिए कि अमीर दास आयोग को किसके इशारे पर और क्यों भंग किया गया। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि शंकर बिगहा और बाथे में हुए दलितों के सामूहिक नरसंहार के अभियुक्तों को कैसे रिहा कर दिया गया।
छोटे- छोटे मामलों में निचली अदालत के फैसलों के खिलाफ ऊपर के न्यायालयों में जाने वाली राज्य सरकार शंकर बिगहा और बाथे नरसंहार के अभियुक्तों को निचली अदालत द्वारा रिहा कर देने के बाद सरकार ने फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालयों का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। किसके दबाव और प्रभाव में दलितों के सामूहिक नरसंहार करने वाले अभियुक्तों की रिहाई के खिलाफ राज्य सरकार ऊपर के न्यायालयों में नहीं गई।
उन्होंने जदयू से यह भी जानना चाहा कि एक दलित नेता को साजिश कर मुख्यमंत्री की कुर्सी से क्यों और कैसे हटाया गया। उन्होंने कहा है कि जिस तेजस्वी यादव को बिहार की जनता लोकप्रियता और समर्थन का सार्टिफिकेट दे रही है। उसे जन्मजात दलित विरोधी संगठन के नेताओं से सार्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है।