प्रदेश के 24 नगर निकायों के चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इन निकायों के लिए 16 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे, मतगणना 20 अप्रैल को होगी। इसी के साथ ही प्रदेश की सभी पार्टियां भी रेस हो गई हैं। एक लिहाज से देखा जाय तो आगामी लोकसभा, विधानसभा चुनावों से पहले ये एक प्रकार से सभी दलों के लिए अपनी जमीनी पकड़ को समझने-बूझने की कवायद भी है। कहा जा सकता है कि फाइनल से पहले रिहर्सल की तरह है ये निकाय चुनाव।
इसीलिए बीजेपी, कांग्रेस, झामुमो, आजसू, राजद सहित सभी दलों ने निकाय चुनाव में बिना किसी गठबंधन के मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। विधानसभा, लोकसभा चुनाव को लेकर एकजुट होने वाले दल कांग्रेस, झामुमो हों या बीजेपी, आजसू निकाय चुनाव में अपने जमीनी कार्यकर्ता के जरिए सियासी हैसियत आंकने की कोशिश करेंगे। जानकारों की मानें तो इसमें कहीं दो राय नहीं की अगर किसी भी दल को इस चुनाव में बेहतर परिणाम आएंगे तो वह आम चुनाव में अपना मूड बदल ले या फिर अपने बड़े दल के साथ बार्गेन करे। वहीं पार्टियां निकाय चुनाव के जरिये जमीनी कार्यकर्ताओं को आगे के लिए निखारने की सीढ़ी के तौर पर देखती हैं इसलिए उनकी भावनाओं को देखते भी हुए इन चुनावों में खड़ा करती हैं। बहरहाल, 20 अप्रैल के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी कि कौन सा दल मतदाताओं को रिझाने में कामयाब हो पायी है, इसके साथ ही सियासी दल अपनी दूसरी रणनीति के साथ सामने आएंगे।