रघुवर सरकार के खिलाफ विपक्षी आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं। विभिन्न कार्यक्रमों के बहाने वे लगातार सरकार पर हमला बोल रहे हैं। रघुवर सरकार के नीतियों के खिलाफ और विभिन्न मुद्दों के साथ विपक्षी दलों ने झारखंड बचाव समन्वय समिति के बैनर तले 13 नवंबर को हल्ला बोला। सरकार पर आरोप लगाया कि झारखंड भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को नजरअंदाज कर सरकार प्राइवेट कंपनियों द्वारा किसानों की जमीन औने-पौने दाम पर अधिग्रहण कर रही है। कई पीढ़ी से जिस गैर मजरूआ जमीन पर किसानों ने घर बनाया, रसीद कटवाया, बंदोबस्ती करवाई वैसे जमीन को लैंडबैंक के नाम पर किसानों से छीना जा रहा है।
कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय ने कहा कि हजारीबाग के बड़कागांव में सरकार एनटीपीसी को जमीन दिलाने को लेकर लोगों की जान लेने पर उतारू है। विरोध करने पर कई नेताओं पर मुकदमा कर दिया गया।
इस मौके पर विपक्ष की ओर से 9 मांग रखे गये। प्रमुख मांगों में सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ आंदोलन एवं राज्य भर में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आवाज उठाने वाले आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस किये जायें। भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 की संशोधन वापस हो। ताकि सामाजिक प्रभावों के प्रावधान सुरक्षित हों, सहमति, असहमति का अवसर मिले ताकि पेशा कानून का प्रभाव भी बहाल हो।
आदिवासियों की परंपरा, रीति- रिवाज अनुष्ठान पर हमला बंद हो तथा पत्थलगड़ी की परंपरा बहाल हो। इस आंदोलन की एकजुटता को देखकर कहा जा सकता है कि विपक्ष आगामी चुनाव की तैयारी शुरू कर चुका है।