झारखंड में फिलहाल तो पूरा विपक्ष एकजुट नजर आ रहा है, कई मुद्दों पर सारे दल सत्ताधारी दल के खिलाफ मैदान में हैं। सड़क से सदन तक विपक्ष सरकार की नीतियों के खिलाफ लामबंद है। वहीं झारखंड में विपक्षी दलों को एकजुट करने में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बड़ी भूमिका रही है। लालू से मिलने आए शरद यादव ने भी महागठबंधन की बात दोहराई। देखा जाय तो इस कवायद में लगभग सभी विपक्षी दल एक मंच पर नजर आ रहे हैं। वह चाहे जेएमएम हो या जेवीएम, कांग्रेस हो या राजद या लेफ्ट सबों के बीच इसको लेकर बातचीत हो रही है कि कैसे बीजेपी को मात दी जाए।
बहरहाल, इस विपक्षी एकता की पहली अग्निपरीक्षा आगामी लोकसभा और विधान सभा चुनावों से पहले मई में होने वाला राज्यसभा का चुनाव है। झारखंड से राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव होना है। ये दोनों सीटें अभी विपक्ष के पास हैं। राज्यसभा के लिए 2012 में हुए चुनाव में इन सीटों पर कांग्रेस के प्रदीप कुमार बलमुचु और झामुमो के संजीव कुमार जीते थे। अब इन दोनों सीटों पर भाजपा की नजर है। झारखंड विधानसभा का जो मौजूदा गणित है उस हिसाब से एक-एक सीट सत्ता पक्ष और विपक्ष को मिल सकती है। लेकिन सत्ता पक्ष की पूरी कोशिश इस बार भी दोनों सीटों पर कब्जा करने की होगी। भाजपा 2016 के राज्यसभा चुनाव में दो उम्मीदवार उतार कर दोनों सीटें जीत चुकी है। वहीं विपक्ष का प्रयास होगा कि किसी भी हाल में इनमें से एक सीट पर उनका कब्जा बरकरार रहे। पर इसके लिए जरूरी है कि विपक्ष के सभी विधायक एकजुट रहें और क्रास वोटिंग जैसी स्थिति पैदा न हो। देखा जाय तो विपक्षी एकता का आगे भी टिकी रहेगी या नहीं यह राज्यसभा चुनाव से ही पता चल जाएगा।