बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म पद्मावती को बिहार में बैन कर राजपूत समाज का दिल जीतने की कोशिश की है. कई बड़े राजपूत नेताओं ने फिल्म को बिहार में बैन करने के लिए नीतीश कुमार और सुशील मोदी को बधाई भी दी है.
फिल्म पद्मावती में महारानी पद्मावती के किरदार को कमतर दिखाने का बिहार का क्षत्रिय समाज पुरजोर विरोध कर रहा था. खुद भाजपा के कई नेताओं ने सरकार से फिल्म को बैन करने की मांग की थी. चार राज्यों में फिल्म पर रोक लगाई जा चुकी है. ऐसे में सरकार के अंदर से इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का दबाव था. भाजपा के रणनीतिकार अपने सवर्ण वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहते थे, इसलिए जन दबाव में सरकार बैकफुट पर आई और देर से ही सही, बिहार इस फिल्म को बैन करने वाला पांचवां राज बन गया.
भाजपा के वरिष्ठ नेता उपेंद्र चौहान और कई राजपूत नेताओं ने इस फिल्म के खिलाफ अभियान चला रखा था. इस अभियान को समाज के युवाओं का समर्थन भी हासिल था. उपेंद्र चौहान कहते हैं कि पद्मावती को बैन करके नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को बचाने की कोशिश की है. वह यह भी कहते हैं कि यह देश व राज्य वीरांगना पद्मावती को नमन करेगा ना कि किसी विदेशी लुटेरे अलाउद्दीन ख़िलजी को. खैर सांस्कृतिक बातें अपनी जगह हैं और सियासत अपनी जगह. बिहार में यह फिल्म सियासी वजह से बैन की गई है.