बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और बागी नेता शरद यादव को खुली चुनौती दी है। नीतीश कुमार का यह बयान शरद यादव की 'जन अदालत' की प्रतिक्रिया के रूप में आया है। नीतीश ने कहा कि अगर उनमें ताकत और हिम्मत है तो जदयू को तोड़कर दिखाएं। शरद यादव को चुनौती देते हुए नीतीश ने कहा कि अगर पार्टी में ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है तो दो तिहाई सदस्यों के साथ पार्टी तोड़ लें। अन्यथा पार्टी की सदस्यता गंवाने के लिए तैयार रहें। बता दें कि 2014 में राज्यसभा सांसद बनने से पहले शरद यादव सीमांचल क्षेत्र की मधेपुरा सीट से 4 बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं।
नीतीश ने व्यंग्य किया कि शरद जी कहा करते थे कि लोकतंत्र लोक-लाज से चलता है लेकिन अब वह खुद लोक-लिहाज भूल गए हैं। जदयू अटूट है। कोई भी उनकी पार्टी को नहीं तोड़ सकता। टूट की बात पर नीतीश ने कहा कि क्या राजद के बल पर जदयू को तोड़िएगा। शरद के अलावा नीतीश ने लालू पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आप भ्रष्टाचार करेंगे और धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देकर उससे बचना चाहेंगे तो ऐसा नहीं हो सकता। नीतीश ने कहा कि 20 महीनों की सरकार के दौरान बहुत अपमान झेले। हर वक्त उन्हें यह जताया गया कि उन्हें उनलोगों ने ही मुख्यमंत्री बनाया है। नीतीश ने कहा कि उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया है, किसी की कृपा से मुख्यमंत्री नहीं बने हैं।
नीतीश ने तेजस्वी यादव पर भी तंज कसा और कहा कि कहां जनादेश का अपमान हुआ है। जनादेश इसके लिए नहीं मिला था कि आप लूट करें। जनादेश बिहार के कल्याण और बिहार के विकास के लिए जनता ने दिया था। 'कुछ लोग जो बात करते हैं जनादेश की, हम पूछना चाहते हैं कि किस लिए जनादेश मिला था। वह जनादेश बिहार के विकास के लिए मिला था या परिवार के विकास के लिए?'
'आरजेडी के सत्ता में आते ही लोगों के बीच भय पैदा हो गया था। महागठबंधन टूटने के बाद वह भय समाप्त हो गया है, लेकिन सत्ता से बाहर आते ही आरजेडी के लोग तरह-तरह की हरकतें कर रहे हैं, लेकिन जनता सब देख रही है।' उन्होंने कहा, 'हमें किसी पद की लालसा नहीं है, लोगों की खिदमत के लिए इस पद पर हैं। लोगों की सेवा करते हैं और करते रहेंगे।'