मुख्यमंत्री जन संवाद को बेहतर करने को कहा
सरयू राय ने मुख्यमंत्री जन संवाद के तौर तरीकों पर ऊँगली उठाते हुए सरकार को सलाह दी है कि अधिकारियों को हतोत्साहित करना बंद करें, इससे सरकार के काम-काज में बाधा उत्पन्न हो रही है. उन्होंने जनसंवाद की कार्यशैली को गंभीर बनाने की बात भी की. भाजपा के वरिष्ठ मंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि जन संवाद में अनर्गल मामले आ रहे हैं और बिना जांच-पड़ताल के जन संवाद फैसले सुना रहा है. उन्होंने अपने विभाग के चाईबासा के एक मामले का जिक्र करते हुए कहा कि जन संवाद के बिना जाँच किये फैसला सुनाने के चलते ग्राउंड पर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सरयू राय ने कहा कि उनके विभाग में पहले से शिकायत पोर्टल है, वहां शिकायत नहीं करके शिकायतकर्ता ने सीधे जनसंवाद में शिकायत की. उन्होंने कहा कि जन वितरण प्रणाली या किसी अन्य शिकायत में यह देखा जाना चाहिए कि शिकायत करने वाला आदतन तो ऐसा नहीं कर रहा.
दरअसल मुख्यमंत्री जन संवाद अधिकारियों को डांटने का मंच बनता जा रहा है. यहां जिस अधिकारी या जिस उपायुक्त को जलील करना होता है, उसे सबके सामने खरी-खोटी सुनायी जाती है. एक जन संवाद में बोकारो के उपायुक्त को डांटते हुए मुख्यमंत्री ने आपत्तिजनक बात भी कर दी. मुख्यमंत्री ने जमीन के एक मामले में उपायुक्त का पूरा पक्ष सुने बगैर कह दिया कि क्या हाईकोर्ट के जज को डीसी बनाकर भेज दें. क्या मुख्यमंत्री को यह सार्वजनिक तौर पर कहने का अधिकार है! क्या इससे न्यायपालिका की गरिमा नहीं गिरती है.
कई अन्य मामले में मुख्यमंत्री और उनके सचिव अधिकारियों को जिस कदर हडकाते हैं, वो भी उनके जूनियर के सामने. इसके बाद प्रशासन का मोरल प्रेशर कैसे चलेगा!
जन संवाद के जरिये बड़ी-बड़ी बातें कह दी जाती हैं, पर आज तक किसी भी अधिकारी पर इसके जरिये कोई कार्रवाई नहीं हुई है. ऐसे में अधिकारी अब चर्चा करने लगे हैं कि क्या केवल कुछ खास को टारगेट करने का यह मंच है.