जदयू के मुख्य प्रवक्ता वह विधान पार्षद संजय सिंह ने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए कहा है कि नीतीश कुमार की बदौलत ही 2015 में महागठबंधन को भारी जनादेश मिला था। नीतीश कुमार ऑन डिमांड नेता हैं। महागठबंधन का नेता बनने के लिए लालू प्रसाद से लेकर मुलायम सिंह यादव तक ने उनकी चिचौरी की थी। वे उनके पास नहीं गए थे, तेजस्वी को यह बात मान लेनी चाहिए।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि लालू प्रसाद ने अपनी राजनीतिक नैया को डूबते हुए देखा तो उन्होंने महागठबंधन बनाने की कवायद शुरु की। इस महा गठबंधन में राजद, कांग्रेस और जदयू को शामिल किया गया। फिर जब नेता चुनने की बारी आई तो नीतीश कुमार के सामने प्रस्ताव रखा गया कि वह महागठबंधन के नेता बनें। उसके बाद नीतीश ने प्रस्ताव स्वीकार किया था। नीतीश कुमार कभी नहीं कहने गए थे कि वह बिहार के सीएम बनना चाहते हैं। उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। लालू प्रसाद व मुलायम सिंह यादव ने जबरदस्ती उन पर सीएम बनने का दबाव बनाकर उनके चेहरे को भुनाया।
संजय सिंह ने कहा कि लालू परिवार के पास झूठ बोलने का कॉपीराइट है। उन्होंने कहा इसका सीधा उदाहरण लालू प्रसाद की संपत्ति से जुड़ा है। 15000 करोड़ की संपत्ति लालू परिवार ने कैसे अर्जित की, यह अभी तक किसी ने नहीं बताया। तेजस्वी यादव जान लें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में झूठ बोलने की प्रवृत्ति नहीं रही है।
संजय सिंह ने कहा कि सिर्फ राजनीतिक परिवार में जन्म लेना ही राजनेता बनने का लाइसेंस नहीं होता है। नेता बनने के लिए समाज की हर कसौटी पर खरा उतरना पड़ता है। लेकिन तेज प्रताप यादव व तेजस्वी तो सिर्फ लालू के घर जन्म लेने से ही राजनीति को अपना पुश्तैनी पेशा मान बैठे हैं। ना तो तेजस्वी-तेजप्रताप के पास राजनीति का अनुभव है और ना ही उनके पास राजनीति करने की नैतिकता।