सरयू राय, अर्जुन मुंडा, राधाकृष्ण किशोर और अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ...पार्टी के अंदरूनी संकट पर एक से एक तीर चलाये जा रहे हैं. जिन्हें डैमेज कण्ट्रोल में लगना था, उन्हीं से पार्टी डैमेज हो रही है. लक्ष्मण गिलुआ संसद सत्र छोड़कर रांची लौटे जरुर लेकिन अपने बयानों से सरकार के स्टैंड को ही गलत ठहराते दिखे. प्रदेश अध्यक्ष ने एक अखबार से बात-चीत करते हुए विधानसभा के सत्र के नहीं चलने पर अपनी सरकार के प्रयासों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया.
सरयू राय से संबंधित विवाद पर भी प्रदेश अध्यक्ष ने दो टूक कह दिया कि सरयू राय की नाराजगी को दूर करने की कोशिशें होनी चाहिए. स्थानीय और नियोजन नीति पर भी प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार को घेरा. कुल मिलाकर अगर सरकार को उम्मीद रही होगी कि लक्ष्मण गिलुआ उन्हें डिफेंड करेंगे तो उन्हें निराशा हुई होगी. झारखंड सरकार में मंत्री सरयू राय के हल्ला बोल इरादों ने भाजपा के नेतृत्व में भी खलबली मचा दी है। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ के उस बयान से भी भाजपा में खलबली मच गई है, जिसमें उन्होंने सरकार को डीजीपी और मुख्य सचिव के संबंध में तत्काल निर्णय लेने को कहा.
सरयू राय के संसदीय कार्य मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने भी स्वीकार किया है कि पार्टी स्तर पर भी गलती हुई है. सरयू राय की नाराजगी को दूर किया जा सकता है, उन्हें मनाया जा सकता था, लेकिन मंत्रिमंडल से संबंधित फैसले पर मुख्यमंत्री ने कोई भी प्रयास नहीं किया. नियोजन नीति की समीक्षा के लिये बनाई गई कमेटी में एक भी आदिवासी मंत्री को शामिल नहीं किये जाने के कारण भी भाजपा के नेताओं में आक्रोश है.