-मंत्री जयंत सिन्हा की सफाई- मंत्री बनने से पहले छोड़ दी थी कंपनी
पूरी दुनिया के सामने पैराडाइज पेपर्स (1.34 करोड़ दस्तावेज) सामने आए हैं जिनमें दावा किया गया है कि पूरी दुनिया के अमीर और ताकतवर लोग किस तरह से अपनी काली कमाई को टैक्स से बचाने के लिए ठिकाने लगाते हैं। पैराडाइज पेपर्स में जहां दावा किया गया है कि 714 भारतीय नागरिकों का नाम इसमें शामिल है वहीं इसमें कुछ अहम राजनीतिक हस्तियों पर पूरे देश की नजर टिकी हुई है। भाजपा के मंत्री जयंत सिन्हा और सांसद आरके सिन्हा का नाम इसमें आने से राजनीतिक हलचल तेज़ हो गयी है।
इस खुलासे का समय भी बेहद खास है क्योंकि दो दिन बाद ही केन्द्र सरकार एंटी ब्लैकमनी डे मनाने जा रही है और इस रिपोर्ट में केन्द्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के मंत्रियों और नेताओं का नाम सामने आया है। पैराडाइज पेपर्स के मुताबिक भारत के केन्द्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा और बीजेपी से राज्य सभा में सांसद रविन्द्र किशोर सिन्हा का नाम प्रमुख है।
लोकसभा चुनाव 2014 में झारखंड के हजारीबाग से पिता यशवंत सिन्हा की जगह पर सांसद चुने जाने के बाद जयंत सिन्हा मोदी सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए।
मोदी सरकार में शामिल होने से पहले जयंत सिन्हा देश में ओमिद्यार नेटवर्क में बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर काम करते थे। इस ओमिद्यार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी लाइट डिजाइन में बड़ा निवेश किया था जबकि इस अमेरिकी कंपनी की टैक्स हैवन केमैन आइलैंड में सब्सिडियरी कंपनी होने की बात सामने आई है। जयंत सिन्हा अमेरिकी कंपनी डी लाइट डिजाइन में बतौर डायरेक्टर नियुक्त थे। हालांकि जयंत सिन्हा ने 2014 लोकसभा चुनावों के लिए दिए अपने हलफनामें में इस कंपनी से जुड़े होने के तथ्यों को उजागर नहीं किया था। इसके बाद मोदी सरकार में शामिल होने के बाद भी जयंत ने इसकी जानकारी न तो लोकसभा सचिवालय को दी और न ही प्रधानमंत्री कार्यालय को इसकी सूचना दी जहां 2016 तक वह बतौर राज्य मंत्री नियुक्त थे।
इन आरोपों पर जयंत सिन्हा ने सफाई देते हुए दावा किया है कि सितंबर 2009 में वह ओमिद्यार नेटवर्क से बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर जुड़े थे। सिन्हा ने माना है कि वह कंपनी के भारत से जुड़े मामलों को देखते थे लेकिन दिसंबर 2013 में उन्होंने इस कंपनी से संबंध खत्म करते हुए अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। सिन्हा ने माना है कि 2010 में ओमिद्यार नेटवर्क का अमेरिकी कंपनी डी लाइट डिजाइन में निवेश की प्रक्रिया को उन्होंने शुरू किया था और उसके बाद नवंबर 2014 तक वह इस अमेरिकी कंपनी के बोर्ड में ओमिद्यार नेटवर्क की तरफ से शामिल रहे। सिन्हा के मुताबिक डी लाइट में वह दिसंबर 2013 तक ओमिद्यार नेटवर्क की तरफ से शामिल रहे जिसके बाद जनवरी 2014 से नवंबर 2014 तक वह डि लाइट के स्वतंत्र निदेशक रहे। सिन्हा ने बाताया कि 2014 में मंत्रीपरिषद में शामिल होने से पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया और अब वह किसी तरह से कंपनी के कामकाज से नहीं जुड़े हैं।