क्या बिहार कांग्रेस का पूरी तरह लालूकरण हो गया ! क्या इसी आरोप की वज़ह से बिहार कांग्रेस के प्रभारी सीपी जोशी श्रीकृष्ण सिंह जयंती पर आयोजित उस कार्यक्रम से बाहर रहे, जिसमें लालू प्रसाद मुख्य अतिथि थे ! कार्यक्रम में पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी पर व्यंग के तीर चलाकर क्या लालू ने कांग्रेसियों को यह मेसेज देने की कोशिश की कि वह अपरिहार्य हैं ! कांग्रेस के मंच से उसके पूर्व अध्यक्ष पर कमेंट करना यह साबित करता है कि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने यह मान लिया है कि बिहार में कांग्रेस में वही होगा जो लालू कहेंगे |
बिहार की राजनीति में हुए उथल-पुथल के बाद यह पूरी तरह सर्वविदित है कि कांग्रेस के अंदर उठे तूफान की एक वजह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद भी हैं. कई विधायकों ने लिखित और कइयों मौखिक तौर पर केंद्रीय नेतृत्व को बताया कि बिहार में लालू के पीछे चलने से पार्टी की छवि को धक्का लगेगा. कांग्रेसी विधायकों ने दिल्ली नेतृत्व को यहां तक याद दिला दिया कि केंद्र की सत्ता लालू के हाथ से भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से गयी, लेकिन उसके बाद भी प्रदेश अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार और कभी खुद राबड़ी सरकार में मंत्री रह चुके भूमिहार नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने लालू को कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया |
लालू प्रसाद रविवार को बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर कांग्रेस के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बने. इसने जद-यू के अलग होने के बाद पार्टी के महागठबंधन के सहयोगी दलों के भावी राजनैतिक कदम को स्पष्ट कर दिया है.
लालू यादव के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने को लेकर कांग्रेस के अंदर और बाहर के अलावा बिहार की सियासी सरगर्मी तेज हो गयी. कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि लालू इसी बहाने बिहार कांग्रेस के विधायकों के एक नाराज़ गुट को यह संदेश देने में सफल रहे कि उन्हें कांग्रेस से कोई अलग नहीं कर सकता. लालू प्रसाद इसी बहाने नीतीश कुमार और उनकी पार्टी से कांग्रेस नेताओं को दूर रखने का भी जतन कर रहे हैं |
बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष कौकब कादरी ने इस सम्बन्ध में कहा कि लालूजी के साथ स्वाभाविक गठबंधन है. वह धर्मनिरपेक्ष ताकतों के बड़े नेता हैं. हालाँकि कादरी का लालू प्रसाद की शान में कसीदा पढना कई कांग्रसी को पसंद नहीं आया | जबकि पार्टी के अधिकतर भूमिहार विधायक कार्यक्रम में मौजूद थे |